डायबिटीज़ (Diabetes) या जिसे बोलचाल की भाषा में शक्कर या शुगर की बीमारी कहते हैं, इसे मधुमेह भी कहते है। इस बीमारी से थोड़ा बहुत सभी परिचित हैं। यदि ध्यान न दिया जाए तो यह रोग शरीर के लिए घातक बीमारी सिद्ध हो सकता है। विकसित देशों में मधुमेह से मौत का एक प्रमुख कारण है। कम से कम 30 करोड़ मधुमेह से ग्रसित रोगी विश्व में हैं।
वास्तव में इस रोग के रोगियों की संख्या समुद्र में डूबे आइसवर्ग की तरह है जिसका छोटा सा हिस्सा ही ऊपर दिखता है। विश्व की 2 से 5 प्रतिशत वयस्क आबादी मधुमेह से प्रभावित है। भारत में 1 से लेकर 2 प्रतिशत तक व्यक्ति इस रोग से ग्रस्त हैं। इस तरह मधुमेह एक प्रमुख रोग है जो देश की बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित किए हुए हैं। यह देखा गया है कि यह रोग ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में अधिक होता है।
डायबिटीज का शीघ्र उपचार हो जाता है, वे यदि जल्दी एवं पुरा उपचार लें तो इन जटिलताओं से बच सकते है और सामान्य व्यक्तियों की तरह जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
डायबिटीज़ (शुगर) क्या है? यह अंतःस्रावी, क्लोम ग्रन्थि (Penkriyaj) का रोग है। यह ग्रन्थि आमाशय के नीचे ग्रहणी (Duodenum Below) के बीच में आड़ी पड़ी रहती है और इससे इंसुलिन नामक हार्मोन निकलकर सीधे खून में मिलता है। यह खून में उपस्थित शर्करा (ग्लूकोज) का आक्सीकरण करके ऊर्जा उत्पन्न करता है। इंसुलिन के कारण ही खून में ग्लूकोज की मात्रा एक निश्चित स्तर से अधिक नहीं बढ़ने पाती (खून में शर्करा भोजन के द्वारा लिए गए कार्बोहाइड्रेट्स के पाचन के पश्चात् पहुँचती है और ग्लूकोज के रूप में रहती है।)
शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होने के पश्चात् शेष शर्करा की अतिरिक्त मात्रा इंसुलिन द्वारा ही ग्लाइकोजन में परिवर्तित होकर यकृत और माँस पेशियों में एकत्र हो जाती है और रकत में शर्करा का स्तर बढ़ने नहीं पाता। खाली पेट होने की स्थिति में खून शर्करा का स्तर 70 से लेकर 100 मिलिग्राम प्रति 100 सी। सी। के मध्य रहता है तथा भोजन के पश्चात् स्तर 100-140 मिलीग्राम के आस-पास हो जाता है।
जब किन्हीं कारणों से क्लोम ग्रन्थि से निकलने वाले इंसुलिन की मात्रा कम या इंसुलिन का निकलना बिलकुल बन्द हो जाता है तो फिर खून शर्करा य ठीक ढंग से न होने के कारण खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। खून में ग्लूकोज की शर्करा की मात्रा गुर्दो द्वारा भी पूरी तौर पर अवशोषित नहीं हो पाती परिणाम स्वरूप मूत्र (पेशाब) द्वारा भी शर्करा निकलने लगती है। खून शर्करा का स्तर से अधिक हो जाने की इस स्थिति को ही मधुमेह या डायबिटीज़ या शुगर कहते हैं। यह आवश्यक है कि डायबिटीज़ में पेशाब द्वारा भी शर्करा निकले। कई बार केवल खून शर्करा का ही स्तर बढा हुआ मिलता है। लेकिन पेशाब की जाँच करने पर उसमें खून शर्करा अनुपस्थित होती है।
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1। टाइप 1 डायबिटीज - Type 1 diabetes :- टाइप 1 डायबिटीज तब होता है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली बीटा कोशिकाओं नामक आपके पैनक्रियाज में कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। यह वो हैं जो इंसुलिन बनाते हैं।
कुछ लोगों को माध्यमिक डायबिटीज नामक एक स्थिति मिलती है। यह टाइप 1 के समान है, सिवाय इसके कि प्रतिरक्षा प्रणाली आपके बीटा कोशिकाओं को नष्ट नहीं करती है। वे किसी और चीज से पीड़ित होते हैं, जैसे बीमारी या आपके पैनक्रियाज़ में चोट लगती है।
2। टाइप 2 डायबिटीज - Type 2 diabetes :- टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में इंसुलिन प्रतिरोध होता है। शरीर अभी भी इंसुलिन पैदा करता है, लेकिन यह प्रभावी ढंग से इसका उपयोग करने में असमर्थ है। शोधकर्ताओं को यकीन नहीं है कि क्यों कुछ लोग इंसुलिन प्रतिरोध बनते हैं और अन्य नहीं करते हैं, लेकिन कई जीवनशैली कारक योगदान कर सकते हैं, जिसमें अतिरिक्त वजन और निष्क्रियता शामिल है।
अन्य अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक भी योगदान दे सकते हैं। जब आप टाइप 2 मधुमेह विकसित करते हैं, तो आपके पैनक्रिया अधिक इंसुलिन उत्पन्न करके क्षतिपूर्ति करने की कोशिश करेंगे। चूंकि आपका शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असमर्थ है, इसलिए ग्लूकोज आपके रक्त प्रवाह में जमा हो जाएगा।
3। गर्भावधि डायबिटीज - Gestational diabetes :- यदि आपको गर्भावधि डायबिटीज है, तो आप अभी भी अपने डॉक्टर से मदद के साथ एक स्वस्थ बच्चा रख सकते हैं और अपने रक्त शर्करा को प्रबंधित करने के लिए सरल चीजें कर सकते हैं, जिसे रक्त ग्लूकोज भी कहा जाता है।
आपके बच्चे के जन्म के बाद, गर्भावस्था के डायबिटीज आमतौर पर दूर हो जाते हैं। गर्भावस्था के डायबिटीज से आपको टाइप 2 डायबिटीज विकसित करने की अधिक संभावना होती है, लेकिन यह निश्चित रूप से नहीं होगा।
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डायबिटीज के मुख्य लक्षण कुछ इस प्रकार है। जो आपके शरीर मे दिख सकते है।
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टाइप 1 डायबिटीज के कारण (Causes of Type 1 diabetes)- टाइप 1 डायबिटीज तब होता है जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली, संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की प्रणाली, पैनक्रिया के इंसुलिन-उत्पादक बीटा कोशिकाओं पर हमला करती है और नष्ट कर देती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि टाइप 1 डायबिटीज जीन और पर्यावरणीय कारकों जैसे वायरस के कारण होता है, जो रोग को ट्रिगर कर सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज के कारण (Causes of Type 2 diabetes)- मोटापा (अधिक वजन), और शारीरिक निष्क्रियता :- यदि आप शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं और अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं तो आप टाइप 2 डायबिटीज विकसित करने की अधिक संभावना रखते हैं। अतिरिक्त वजन कभी-कभी इंसुलिन प्रतिरोध का कारण बनता है और टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में आम है। शरीर वसा का स्थान भी एक फर्क पड़ता है। अतिरिक्त पेट वसा इंसुलिन प्रतिरोध, टाइप 2 डायबिटीज, और दिल और रक्त वाहिका रोग से जुड़ा हुआ है। यह देखने के लिए कि क्या आपका वजन आपको टाइप 2 डायबिटीज के लिए जोखिम में डालता है।
गर्भावधि डायबिटीज के कारण (Causes of Gestational diabetes)- वैज्ञानिकों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान विकसित डायबिटीज का एक प्रकार, गर्भावस्था के हार्मोनल परिवर्तन आनुवांशिक और जीवनशैली कारकों के साथ होता है।
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डायबिटीज से बचाव कुछ इस प्रकार कर सकते है-
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लेकिन डायबिटीज के निदान के लिए केवन यूरिन टैस्ट पर ही निर्भर न रहें क्योंकि डायबिटीज के बहुत से रोगियों में डायबिटीज होने पर भी मूत्र में शक्कर नहीं आती। यह भी ध्यान रखें कि मूत्र में शक्कर उपस्थित रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को डायबिटीज नहीं होती। डायबिटीज के जिन रोगियों के मूत्र की शुगर जांच पॉसिटिव आ रही हो, वे अपने मूत्र की जांच नियम से कराके उसका रिकार्ड रखें जिससे कंट्रोल में बहुत सहायता मिलती है।
ये औषधियां सदैव चिकित्सक के परामर्श से ही लें एवं इनकी मात्रा भी डाक्टरी परामर्शानुसार ही घटायें या बढ़ायें। दवा खरीदते समय डाओनिल को सेमी डाओनिल से एवं यूग्लूकोन को सेमी यूग्लूकोन से पहचान कर ही खरीदें क्योंकि इनमें दवा की मात्रा में बहुत अंतर होता है।
इंसुलिन पैनक्रिया में बने हार्मोन है, जो आपके शरीर में एक अंग है जो पाचन के साथ मदद करता है। इंसुलिन ऊर्जा के लिए आपके शरीर को ग्लूकोज (चीनी) का उपयोग करने में मदद करता है।
लेकिन जब आपको डायबिटीज होता है, तो कभी-कभी आपके पैनक्रिया कोई इंसुलिन नहीं बनाते हैं, पर्याप्त नहीं बनाते हैं या इंसुलिन बनाता है जो ठीक से काम नहीं करता है। और यही कारण है कि डायबिटीज वाले कुछ लोग इंसुलिन-निर्भर हैं, जिसका अर्थ है कि उन्हें इसे दवा के रूप में लेने की आवश्यकता है। इंसुलिन लेना आपको अपने रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
आप इसे इंजेक्शन करके इंसुलिन लेते हैं, या इंसुलिन पंप का उपयोग करके। पंप सभी के लिए उपलब्ध नहीं हैं - केवल उन लोगों के लिए जिनके पास टाइप 1 डायबिटीज है।
इन्सुलिन अनिवार्य होने पर यदि चिकित्सक इसे लेने को कहें तो घबरायें नहीं । अन्यथा संक्रमण ठीक नहीं होगा और लिवन, गुर्दे, हृदय, आंखों, मस्तिष्क, नर्वस, गैंग्रीन इत्यादि की गंभीर जटिलताओं को भी आप बुलावा देते रहेंगे। इन्सुलिन बिना गर्भधारण में परेशानी हो सकती है और गर्भस्थ शिशु में जन्मजात विषमताएं भी हो सकती हैं। ध्यान रखें, डाक्टरी परामर्शानुसार लाखों व्यक्ति इंसुलिन लेकर जटिलताओं से बचे रहकर नार्मल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
डायबिटीज मे कम रक्त शर्करा(लो ब्लड सुगर) जिसे हाइपोग्लाइसेमिया भी कहा जाता है, एक खतरनाक स्थिति हो सकती है। मधुमेह वाले लोगों में कम रक्त शर्करा हो सकता है जो शरीर में इंसुलिन के स्तर को बढ़ाने वाली दवाएं लेते हैं।
रक्त शर्करा को ग्लूकोज भी कहा जाता है। ग्लूकोज भोजन से आता है और शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण ऊर्जा स्रोत के रूप में कार्य करता है। कार्बोहाइड्रेट - चावल, आलू, रोटी, टोरिल्ला, अनाज, फल, सब्जियां, और दूध जैसे खाद्य पदार्थ - शरीर का ग्लूकोज का मुख्य स्रोत हैं।
जिसे ‘लो ब्लड शुगर या हाइपोग्लाइसीमिया भी कहते हैं, डायबिटीज के रोग में उपयोगी डाओनिल या यूग्लूकोन जैसी दवा अथवा इन्सुलिन की आवश्यकता से अधिक मात्रा के प्रयोग से हो सकती है। इस दशा मे लो ब्लड शुगर के लक्षण मुख्य रूप से इस प्रकार है-
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लो ब्लड शुगर मे रखे इन चीजों का ध्यान जो निम्न प्रकार से है-
डायबिटीज में लापरवाही ठीक नहीं ये वाक्य पूरा अपने आप मे चेतावनी है। डायबिटीज के रोगी चिकित्सक के परामर्शानुसार नियमित रूप से उपचार लेंगे तो हृदय, गुर्दे, आँखों, मस्तिष्क, नर्वस, लिवर इत्यादि की जटिलताओं से बचकर नार्मल जीवन व्यतीत कर सकेंगे।
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