हाई बीपी के अलावा डायबिटीज भी एक ऐसा रोग है, जिसमें शरीर के सभी प्रमुख अंग जैसे हृदय, मस्तिष्क, गुर्दे (), आँखें इत्यादि प्रभावित हो सकते हैं। अतएव बढ़ी हुई खून शर्करा पर नियंत्रण रखना जरूरी होता है। शर्करा की अत्याधिक मात्रा बढ़ने या कम जाने पर रोगी गहरी मूर्छा अथवा डायबिटिककॉमा में जा सकता है। इसलिए रोगी को अपने साथ एक कार्ड हमेशा रखना चाहिए जिसमें नाम पता एवं बीमारी का उल्लेख हो। यह कार्ड बेहोशी की दशा में इलाज करने में मदद करता है। डायबिटीज (शुगर) से होने वाली परेशानी का वर्णन निम्न है।
बार-बार पेशाब जाने और अधिक पसीना निकलने से शरीर में पानी और खनिज लवणों की कमी हो जाती हैं। इससे डायबिटीज (शुगर) के रोगी को होने वाली परेशानी का सामना करना पड़ता है
कीटो एसिडोसिस में शरीर में बाइकार्बोनेट की मात्रा कम हो जाती है जिससे खून की अम्लता बढ़ जाती है। पेशाब की जाँच में कीटोन नामक पदार्थ भी मिलता है। शरीर के लिए यह एक हानिकारक स्थिति होती है। अतएव इसका तुरन्त इलाज जरूरी होता है।
मधुमेह के रोगी में जब कोई संक्रमण होता है और यदि उसका इलाज नहीं किया जाता, तो कीटो एसिडोसिस हो सकता है। कीटो एसिडोसिस (Kito Acidosis) से सम्बन्धी परेशानी के लक्षण हैं-
इस स्थिति में तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए। कीटो एसिडोसिस (Kito Acidosis) से सम्बन्धी परेशानी के अन्य लक्षण हैं
इस स्थिति का यदि इलाज नहीं किया जाए तो रोगी ‘कॉमा' में जा सकता है और इसकी चिकित्सा स्वतः सम्भव नहीं है। इसलिए योग्य चिकित्सक की देख रेख में इलाज करवाना ही ठीक है।
डायबिटीज (शुगर) के रोगियों में धमनियाँ मोटी और कड़ी हो जाती हैं और उनके अन्दर चर्बी जमने से ये अन्दर से संकरी हो जाती हैं, (Etherosclerosis) सामान्य लोगों में यह प्रक्रिया ज्यादा उम्र में होती है लेकिन डायबिटीज (शुगर) के रोगी में प्रक्रिया जल्दी शुरू हो जाती है। इसके कारण हाईबीपी, हृदयाघात (heart ) और पैरों की उँगलियों में गेंगरीन जैसी परेशानियाँ हो सकती हैं।
गेंगरीन से बचने के लिए डायबिटीज (शुगर) के रोगियों को ऊपर तक मोजे पहनना चाहिए और स्वयं अपने हाथों से पैरों के कार्न को कॉटना या खुरचना नहीं चाहिए। बल्कि अच्छे शल्य चिकित्सक को दिखलाना चाहिए। ऐसे प्रयास होने चाहिए कि रोगी के साथ चोट और जलने-कटने की घटनाएँ कम हों।
डायबिटीज (शुगर) के रोगियों में गुर्दे की बारीक नलिकाओं में परिवर्तन होने से वे मोटी और अनियमित आकार की हो जाती हैं इसको ग्लोमेरूलोक्लेरोसिस (Glomerulclerosis) कहते हैं। यह एक प्रकार से गुर्दे खराब होने की ही शुरुआत होती है। इसके कारण मरीज की पेशाब में प्रोटीन (Albumin) आने लगता है। हाथ, पैरों, पेट और चेहरे पर सूजन आ जाती है। खून में यूरिया की मात्रा बढ़ने से यूरीमिया की स्थिति बन सकती है। इसका मतलब यह होता है कि गुर्दे अपना कार्य करना बन्द कर रहे हैं।
इस जटिलता को रोकने का कोई विशेष उपाय नहीं है। इस स्थिति में हीमोडायलेसिस की आवश्यकता पड़ती है।
लम्बे समय तक खून शर्करा का स्तर बढ़े रहने पर डायबिटीज (शुगर) के रोगी के आंखो के परर्दो (Ratina) में खराबी आ जाती है। यहाँ तक कि इसके कारण अन्धापन हो जाता है।
रेटिना में स्थित बारीक खून की नलियों में असामान्यता के कारण खून निकलकर छोटे-छोटे बिन्दुओं के रूप में जमा हो जाता है। साथ ही कुछ द्रव पदार्थ भी वहाँ इकट्ठा होता है। इसके अलावा कुछ नई छोटी-छोटी खूनवाहिकाएँ गुच्छे के रूप में बनती हैं और इन सब परिवर्तनों के कारण रोगी को दिखना कम हो जाता है।
यदि मधुमेह के रोगी में नजर सम्बन्धी ज़रा सी भी गड़बड़ी हो तो उसे तुरन्त नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखलाना चाहिए। रेटीना में खराबी के अलावा मधुमेह रोगी की आँखों में मोतियाँ बिन्दु (Cetect) भी शीघ्र बन जाता है। कई बार रोगी बच्चों में भी मोतियाबिन्द की शिकायत देखी जाती है।
शुगर के रोगी की रोग प्रतिरोध शक्ति कम हो जाने की वजह से वह बहुत से संक्रमणों के लिए संवेदनशील बन जाता है। जैसे कि उसे त्वचा के संक्रमण फोड़े, फुंसी, खुजली इत्यादि हो सकते हैं। स्त्री के जननांग में केंडिडा संक्रमण भी होता है। मधुमेह के रोगी को फेफड़ों का टीबी भी हो सकता है। इसी तरह उसे पेशाब के रास्ते के संक्रमण (Urinutitrect infection) भी होते हैं।
डायबिटीज के रोगी में इस तरह की जटिलताएँ होना बहुत ही सामान्य है। इसमें हाथ पैरों में झुनझनाहट या सुई चुभने का आभास होना या सुन्न पड़ना इत्यादि लक्षण हो सकते हैं। इसके कारण मॉस पेशियों में दर्द, पैरों में दर्द, माँस पेशियों का पतला पड़ना इत्यादि शिकायतें हो सकती हैं।
अनियंत्रित शर्करा वाले रोगी में चेहरे या पैर में लकवा जैसी बीमारी भी हो सकती है।
स्वतन्त्र तन्त्रिका तन्त्र के प्रभावित होने से लक्षण-
इसलिए मधुमेह के रोगी में, चिकित्सक गण तन्त्रिका सम्बन्धी रोगों को कम करने के लिए विटामिन बी काम्प्लेक्स लेने की सलाह देते हैं।
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