डायबिटीज़ (शुगर) के लक्षण और प्रकार

इंसुलिन-आश्रित डायबिटी (शुगर) के लक्षण निम्न प्रकार दिये गए है

  • बार-बार भूख और पेशाब जाना, वजन कम होना, विशेषकर युवा मरीजों में वजन कम होने की शिकायत अधिक मिलती है।
  • इस तरह के मधुमेह में खून और पेशाब में अत्याधिक शर्करा बढ़ जाती हैं। और पेशाब में कीटोन नामक पदार्थ भी उपस्थित होता है।
  • खून शर्करा पर नियंत्रण बगैर इंसुलिन दिए सम्भव नहीं होता है।

इंसुलिन-अनाश्रित डायबिटीज (शुगर) के लक्षण निम्न प्रकार दिये गए है-

कई बार इंसुलिन अनाश्रित डायबिटीज में कोई प्रत्यक्ष लक्षण नहीं मिलते। जाँच में अचानक पता लगता है कि रोगी को डायबिटीज है। जबकि कुछ मरीजों में मधुमेह के आम लक्षण जैसे-

  • बार-बार पेशाब जाना
  • बार-बार भूख लगना
  • घाव न भरना
  • त्वचा और फेफड़ों के संक्रमण बार-बार होना इत्यादि मिल सकते हैं।

ऐसे मरीजों के रोग का इलाज भोजन पर नियंत्रण अथवा खाने वाली दवा से ही हो जाता है। लेकिन रोग की बढ़ी हुई अवस्था में कभी-कभी इंसुलिन के इंजेक्शन देना भी जरूरी रहता है।

शुगर या डायबिटीज मेलाइटस को विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निम्न प्रकार से बताया गया है।

इंसुलिन-आश्रित डायबिटीज (शुगर) - Insulin Dependent Diabetes Mellitus In Hindi

इंसुलिन-आश्रित डायबिटी(शुगर) के इस प्रकार में मरीज की खून शर्करा पर नियंत्रण रखने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता होती है।

केवल गोलियों से खून शर्करा का स्तर सामान्य नहीं हो पाता चूँकि मरीज को इलाज के लिए इंसुलिन पर निर्भर रहना पड़ता है इसलिए इसे इंसुलिन आश्रित मधुमेह कहते हैं। यह मधुमेह 40 से कम उम्र के व्यक्तियों और किशोरों एवं युवाओं में अधिक होता है।

इंसुलिन-अनाश्रित डायबिटीज (शुगर) - Non Insulin Dependent Diabetes In Hindi

इंसुलिन-अनाश्रित डायबिटीज (शुगर) जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इस प्रकार की बीमारी पर नियंत्रण बगैर इंसुलिन के इंजेक्शन लगाए हो जाता है। यह डायबिटीज अधेड़ उम्र 40 से ऊपर या वृद्धावस्था में होता है। और इसके भी दो प्रकार हैं।

  • मोटे व्यक्तियों का मधुमेह रोग।
  • उन व्यक्तियों का मधुमेह रोग जो मोटे नहीं हैं।

कुपोषण जनित डायबिटीज (शुगर) - Malnutrition Related Diabetes In Hindi

इस तरह का मधुमेह गरीब और पिछड़े देशों में मिलता है। भारत में, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और केरल में कुपोषण इत्यादि के कारण ऐसे मधुमेह के रोगी अधिक देखे गए हैं। इन रोगियों में कुपोषण के साथ-साथ खाद्यों में मौजूद विषैले तत्व (टॉक्सिन्स) तथा पैतृक संवेदन शीलता भी मधुमेह के लिए उत्तरदायी होती है। 

और पढे- कुपोषण क्या होता है? की विस्तृत जानकारी  

गर्भावस्था का डायबिटीज (शुगर) - Pregnancy Diabetes In Hindi

गर्भकालीन मधुमेह (डायबिटीज)

बहुत सी स्त्रियों में गर्भावस्था के दौरान खून शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है फिर प्रसव पश्चात यह सामान्य स्थिति में पहुँच जाता है। लेकिन ऐसी स्त्रियों में अगली बार गर्भावस्था में पुनः खून शर्करा बढ़ने की संभावना होती है एवं वे भविष्य में कभी भी गर्भावस्था का डायबिटीज (शुगर) की शिकार बन सकती है। 

डायबिटीज के अन्य प्रकार (शुगर) - Other Types Of Diabetes In Hindi

इसमें बहुत सी स्थितियाँ शामिल हैं। जैसे क्लोम ग्रन्थि के संक्रमण से भी यह बीमारी हो सकती है अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के स्त्राव में गड़बड़ी के कारण हो सकता है। डायबिटीज (शुगर) के अन्य प्रकार है जैसे-

  • कसिंग सिंड्रोम
  • थायरोटॉक्सिकोसिस
  • कुछ दवाइयाँ जैसे डाययूरेटिक्स (पेशाब अधिक जाने वाली दवाइयाँ) से भी डायबिटीज हो सकता है।
  • कुछ पैतृक रोगों जैसे-यौन सम्बन्धी विकृतियों के साथ भी यह रोग पाया गया है।

उपर्युक्त स्थितियों के अलावा पेशाब से शर्करा गुर्दो में खराबी के कारण भी जा सकती है। ऐसी स्थिति में गुर्दे की बारीक नलिकाओं द्वारा खून की शर्करा का पूरा अवशोषण नहीं हो पाता और शर्करा मूत्र में मौजूद रह जाती है। इसे रीनल ग्लाइको सूरिया कहते हैं। लेकिन इस स्थिति में खून शर्करा सामान्य स्तर से अधिक नहीं बढ़ती।

और पढे- अधिक जानकारी के लिए डायबिटीज़ (शुगर) क्या है? 

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