डायबिटीज (Diabetes) का टेस्ट कब कराना चाहिए

डायबिटीज का इलाज लक्षणों के अलावा पेशाब एवं खून में शर्करा की विभिन्न जाँचों से सम्भव होता है। अब प्रश्न उठता है कि किन व्यक्तियों को और डायबिटीज का टेस्ट कब राना चाहिए। डायबिटीज के लक्षण मिलने पर तो टेस्ट करवानी ही चाहिए। लेकिन लक्षण न भी मिले तब भी निम्नलिखित व्यक्तियों या रोगियों को डायबिटीज का टेस्ट करवाना चाहिए।

  • 40 वर्ष से ऊपर के ऐसे मरीजों को जाँच करवा लेनी चाहिए जो बार-बार बीमार रहते हों और कमजोर होते जा रहे हों
  • मधुमेह से ग्रसित रोगी के भाई बहिनों, बच्चों को (जो 35 वर्ष से ऊपर हों) भी जाँच करवानी चाहिए
  • कोई भी ऐसा मरीज जिसे बार-बार फोड़े फुसी हो रहे हों और फेफड़ों का संक्रमण जैसे क्षय रोग इत्यादि हो
  • सभी गर्भवती माताएँ विशेषकर वे माताएँ जिनको पूर्व में गर्भपात या मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ हो या उनके किसी पारिवारिक सदस्य को मधुमेह हो
  • उन मरीजों को भी मधुमेह के लिए टेस्ट करवाना चाहिए जो किसी भी तरह का आपरेशन करवाने जा रहे हों
  • वे सभी रोगी जिन्हें निम्न बीमारियाँ होती हैं।
  1. हृदयाघात् या हृदय का दौरा (Heart Attack)
  2. लकवा या पक्षाघात (Paralysis)
  3. न्यूमोनिया या श्वसन संस्थान का संक्रमण (Pneumonia)
  4. गम्भीर त्वचा का संक्रमण एवं खुजली (Skin Infection And Itching)
  • कोई भी व्यक्ति जो शारीरिक परीक्षण (फिजिकल फिटनेस) के लिए जाँचें करवाता है, उसे डायबिटीज के लिए भी जाँच करवानी चाहिए।

    विशेषकर उन्हें तो अवश्य करना चाहिए जिनके पारिवारिक सदस्य इस रोग से ग्रस्त हैं।

डायबिटीज मे टेस्ट कौन से कराये - Test For Diabetes In Hindi

मधमेह का निदान होना आज कोई कठिन कार्य नहीं है। दो-तीन जाँचों के बाद ही रोग की पहचान हो जाती है। लेकिन योग्य चिकित्सक केवल एक बार

डायबिटीज टेस्ट

टेस्ट करके शर्करा और पेशाब की जाँच से निष्कर्ष नहीं निकालते बल्कि इसे दो-तीन बार करवाते है अथवा विशेष जाँच जैसे ग्लूकोज टालरेंस टेस्ट भी करवाते हैं।

डायबिटीज में प्रमुखतः निम्न टेस्ट किए जाते है-

पेशाब का टेस्ट - Urine Test For Diabetes In Hindi

  • पेशाब की जाँच के लिए भोजन के दो घण्टे पश्चात का नमूना काँच की धूली हुई साफ शीशी में लेते हैं। रोग की साधारण दशा में प्रायः पेशाब में शर्करा उपस्थित नहीं होती। जब रोग गम्भीर दशा में पहुँच जाता है अर्थात खून शर्करा (ग्लूकोज) की मात्रा अधिक बढ़ जाती है (200 mg से अधिक) तभी पेशाब में शर्करा आना शुरू होती है।
  • प्रथम बार केवल पेशाब की जाँच से रोग का निदान नहीं हो सकता है, क्योंकि गुर्दे (Kidney) की खराबी के कारण भी पेशाब में शर्करा आ सकती है, कुछ दवाइयाँ लेने से या शीशी में पहले से शर्करा लगी होने से भी परिणाम धनात्मक मिल सकते है।
  • आजकल बाजार में, पेशाब में शर्करा और एल्बुमिन जाँच के लिए स्टिक्स भी आती हैं जिनसे मरीज स्वयं भी जाँच कर सकता है।

खून मे शुगर की जाँच - Blood Test For Diabetes In Hindi

  • खून में दो तरह के नमूनों की जाँच की जाती है। पहले सुबह खाली पेट खून लेकर उसमें शर्करा देखी जाती है
  • इसके बाद भोजन करके अथवा 75 ग्राम ग्लूकोज पानी में घोलकर पीने के 1 1/2 से 2 घण्टे पश्चात खून शर्करा की जाँच करते हैं। 180 मिली ग्राम प्रति 100 सी. सी से अधिक शर्करा होने पर व्यक्ति को मधुमेह का रोगी समझा जाता है

मुह (मुखीय) ग्लूकोज टालरेंस टेस्ट - Oral Glucose Tolerance Test In Hindi

  • मधुमेह की निश्चित पहचान के लिए यह एक विश्वसनीय जाँच है।
  • इस जाँच में थोड़े-थौड़े समय के अन्तर से ग्लूकोज पिलाकर कई खून के नमूने लेकर खून शर्करा की जाँच की जाती है। इसके पश्चात् निष्कर्ष निकाला जाता है।

और पढे- डायबिटीज क्या है? के बारे मे विस्तृत जानकारी

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