जलनेती क्या है- जलनेती क्रिया कैसे की जाती है,लाभ और साइडइफ़ेक्ट्स
जलनेति की परिभाषा क्या है? जलनेति एक योग क्रिया है जिसके द्वारा नाक को जल से साफ किया जाता है। यहा इस क्रिया का वर्णन इस उद्देश्य से कर रहे हैं कि जिन लोगों को साइनस (Sinus) तथा नाक में एलर्जी की शिकायत (छींकें आना आदि) रहती है। जल नेति एक ऐसी तकनीक है जिसका उपयोग योगियों द्वारा रोग-मुक्त रहने के लिए किया जाता था।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बिना किसी रुकावट के अपने योगाभ्यास के लिए सांस का अच्छी तरह से उपयोग किया जा सके। जल नेति का अभ्यास नाक स्वच्छता है, दांतों को कैसे साफ करना दंत स्वच्छता है। यह तकनीक नासिका मार्ग से गले तक शुद्ध करने के लिए पानी का उपयोग करते है।
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जलनेती क्रिया कैसे की जाती है जानिए नीचे दिये गए पोइंटों से क्रमशः विधि -
- जलनेति के लिए एक टोंटीदार लोटा चाहिए
- इसमें हल्का गर्म और स्वच्छ जल भल लो
- बर्तन को अपने दाहिने हाथ में पकड़ लीजिए
- सिर को थोड़ा ऊपर उठाते हुए मुंह से साँस लीजिए
- अपना सिर बायीं ओर झुकाइए
- दाहिनी ओर के नाक-द्वार पर लोटे की टोंटी लगाइए तथा पानी को नाक-द्वार से अन्दर जाने दीजिए
- बायें नाक-द्वार से पानी गिरने लगेगा
- पानी को इसी प्रकार बहने दीजिए जब तक कि लोटा खाली न हो जाए
- अब धीरे से नाक के पानी को बाहर निकालिए
- इसी क्रिया को बायें से दायें नाक-द्वार में दोहरइए
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जलनेति क्रिया के लाभ कुछ इस तरह है-
- नाक के अंदर की श्लेष्मिक झिल्ली की कोशिकाएँ जलेनति से सक्रिय हो जाती हैं
- किसी भी वायरस, बैक्टीरिया अथवा दूषित वायु के दुष्प्रभाव से लड़ने की क्षमता आजाती है
- जलनेति के निरन्तर अभ्यास से नाक की सूंघने वाली कोशिकाएँ अत्यधिक सक्रिय हो जाती हैं
- जिस गंध का आभास आप पहले नहीं कर पाते थे, जलनेति के बाद वह हो जाता है
- शरीर के आंतरिक भागों की गंध सूंघना भी सम्भव हो जाता है
- जलनेति साइनस की शिकायत दूर करती है तथा नाक-मार्ग में उत्तेजना या संक्रमण होने से रोकती है
- अत: यह उन लोगों के लिए जिन्हें प्राय: श्वास संबंधी एलर्जी हो जाती है, उनके लिए अत्यधिक लाभकारी है, क्योंकि इससे नाक साफ हो जाती है और श्वसन मुक्त-भाव से होता रहता है, अत: सिर में बड़ा चैन रहता है
- जिन लोगों को प्राय: जुकाम या सर्दी की शिकायत रहती है, उन्हें जलनेति नियमित करनी चाहिए
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जलनेति क्रिया करने के साइड इफेक्ट्स कुछ इस प्रकार दिये गए है-
- जलनेति नासिका मार्ग की श्लेष्मिक स्राव वाली कोशिकाओं को सक्रिय कर देती है
- इस क्रिया के बाद श्लेष्मा का स्राव बढ़ जाता है
- कई बार नाक साफ कीजिए, एक क्षण के लिए आपको लगेगा जैसे जुकाम हो गया है
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जलनेती की क्रिया करने मे सावधानी निम्न तरह से रखनी चाहिए-
- यह अभ्यास प्रशिक्षक की सहायता से करना चाहिए
- यदि सिर की स्थिति ठीक नहीं रखी जायेगी तो गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण पानी एक नाक-द्वार से दूसरे नाक द्वार में नहीं जा पायेगा
- ऐसे में पानी श्वास-नली में जा सकता है
- इससे साँस लेने में बाधा उत्पन्न हो जायेगी और खाँसी हो जायेगी
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