पीपल के फायदे – पीपल के पत्ते के फायदे | Peepal Ke Fayde In Hindi

पीपल का पेड़ हिन्दू धर्म शास्त्र में बड़ा पवित्र माना गया है। इसके विशिष्ट गुणों के कारण ही इसे पूजा जाता है। संस्कृत में पीपल को 'अश्वत्थ', 'पिप्पल', ‘चलपत्र', 'गजाशन', 'बौद्धि', 'नन्दी','प्ररोही', 'क्षयतरू', 'स्थाली वृक्ष', 'पवित्र वृक्ष' आदि नामों से पुकारते हैं। इस वृक्ष की गुणवत्ता ही इसे पूजनीय बनाती है। इसकी उपासना से मनुष्य दीर्घायु प्राप्त करता है। लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि पीपल में समस्त तीर्थों का निवास है। इसके नीचे किए गए सभी धर्म-कर्म निर्विघ्न समाप्त होते हैं। इसे काटने का हिन्दू धर्म में निषेध है।

यह वृक्ष विषैली कार्बनडाइ-आक्साइड को सोख लेता है और स्वच्छ प्राण वायु छोड़ता है। इसका वृक्ष सौ वर्ष तक जीवित रहता है। इसकी ऊँचाई 30-40 फुट तक होती है। तना मोटा और छालदार होता है। इसके पत्ते नुकीले, चौड़े और नीचे की ओर लटके रहते हैं । इसका फल छोटा गोलाकार होता है। पकने पर बैंगनी रंग का हो जाता है। यह मंदिरों में अनिवार्य रूप से लगाया जाता है।

पीपल के रोगोपचार में फायदे

इसकी तासीर गर्म होती है, स्वाद कटु और तिक्त होता है तथा यह रक्त शोधक वृक्ष है। वीर्य को बढ़ाता है, पित्त, कफ तथा रक्त-विकार को नष्ट करता है। इसके पत्तों से घावों को भरने में बड़ी सहायता मिलती है। यह बाजीकरण का वृक्ष है।

1. श्वाँस रोग में पीपल के फायदे

पीपल के 20 ग्राम पत्तों के रस में 5 ग्राम हल्दी, 2 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर घी अथवा शहद के साथ रोगी को प्रतिदिन सुबह-शाम चटाएँ या फिर जरा-सा घी मिलाकर इस चूर्ण की छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें। उन गोलियों को एक-एक करके सुबह-शाम गर्म दूध या जल से सेवन कराएँ। कुछ ही दिनों में श्वाँस संबंधी सभी रोग ठीक हो जाएँगे। 'दमा' आदि में भी यह अत्यंत लाभदायक है।

2. खाँसी में पीपल के फायदे

खाँसी में इस चूर्ण को शहद के साथ चटाएँ। यदि काली खाँसी हो तो पीपल की छाल का 50 ग्राम काढ़ा दिन में तीन बार रोगी को पिलाएँ। शर्तिया लाभ होगा।' दमे के लिए इसका एक उपयोग यह भी है कि इसकी छाल और पके फल का चूर्ण समभाग में लेकर दिन में तीन बार दमे के रोगी को गर्म जल या शहद से चटाएँ।

3. रक्त विकार में पीपल के फायदे

पीपल के 2 ग्राम बीजों का चूर्ण सुबह शाम शहद के साथ चाटने पर रक्त शुद्ध होता है। छाल का 50 ग्राम काढ़ा देने से भी रक्त विकार शांत हो जाता है।

4. फोड़ा, फुसी, दाद-खाज, कोढ़, खाल का फटना, छाजन आदि में पीपल के फायदे

पीपल की छाल को पानी में घिसकर फोड़े फुसियों' पर लगाने से वे जल्द ठीक हो जाती हैं। 'फोड़े' को पकाने के लिए इसकी छाल की पुल्टिस बाँधनी चाहिए। यदि कहीं पर खाल जल जाए तो ‘जली खाल' पर पीपल की छाल का चूर्ण घी में पकाकर लगाएँ। इससे घाव जल्द भर जाता है।

यदि चोट का घाव हो तो उस पर सूखा चूर्ण बुरकना चाहिए। रक्त तत्काल बंद हो जाता है और घाव भी शीघ्र भर जाता है। कोढ़ के घावों' पर भी पीपल की छाल का चूर्ण लगाना चाहिए। ‘

5. हाथ पैर के फटने पर पीपल के फायदे

हाथ पैर के फटने पर पीपल के पत्तों का रस या पीपल का दूध लगाएँ।‘सूजन' होने पर इसके कोमल पत्तों को गेहूँ के गीले आटे में पीसकर इसका लेप‘सूजन' या ‘खाल फटने के स्थान पर लगाएँ।

6. दाद, खाज-खुजली' में पीपल के फायदे

पीपल की छाल 50 ग्राम लेकर उसका चूर्ण बना लें और उसमें जरा सा चूना और घी मिलाकर अच्छी तरह खरल करके लेप बना लें। इस लेप को लगाने से दाद, खाज खुजली' में बड़ा आराम होता है। चर्म रोग में, पीपल की कोमल कोपलें खानी चाहिए और इसका काढ़ा बनाकर पीना चाहिए।

7. नेत्र रोग में पीपल के फायदे

आँखों की सूजन' के लिए पीपल के पत्तों की जड़ में से निकलने वाले दूध को आँखों में लगाना चाहिए। इससे आँखों की सूजन', 'रोहे', 'लाली' आदि नष्ट हो जाती है।‘आँख का दर्द जाता रहता है।

8. हकलाहट में पीपल के फायदे

पीपल के पके फलों का आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हकलाहट दूर हो जाती है और वाणी में माधुर्य आ जाती है।

9. अरुचि में पीपल के फायदे

पीपल के पके फलों के सेवन से 'कफ', 'पित्त', 'रक्त दोष', ‘विष दोष', 'जलन वमन', तथा अरुचि का नाश होता है।

10. मूत्र विकार में पीपल के फायदे

पीपल की छाल का काढ़ा पीने से मूत्र विकार में बड़ा आराम मिलता है। मूत्र खुलकर आता है।

11. उपदंश में पीपल के फायदे

पीपल के तने की सूखी छाल को जलाकर उसकी राख छान लें या कपड़छन कर लें। उस राख को घावों पर छिड़कने से उपदंश शुष्क होकर ठीक हो जाता है।

12. बाँझपन में पीपल के फायदे

पीपल के सूखे फलों के 2 ग्राम चूर्ण की फंकी कच्चे दूध के साथ मासिक धर्म से शुद्ध होने के बाद 14 दिन तक सेवन कराएँ। बाँझपन दूर हो जाता है।

13. बाजीकरण में पीपल के फायदे

पीपल के फल का चूर्ण आधा चम्मच दिन में तीन बार दूध के साथ सेवन करने से बल-वीर्य बढ़ता है और यौन-इच्छा की दुर्बलता नष्ट हो जाती है। पीपल के तने की 20 ग्राम छाल को जलाकर उसकी राख में समान भाग कलमी शोरा मिला लें। इस चूर्ण को एक पके केले पर छिड़कर रोगी को रोज खिलाएँ। इससे तिल्ली की सूजन मिट जाती है और जल्द आराम आ जाता है।

14. पीलिया रोग में पीपल के फायदे

पीपल के 5 कोमल पत्तों को लेकर थोड़ी मिश्री मिलाकर उन्हें खरल कर लें और उसे एक पाव पानी में मिलाकर छान लें। यह शर्बत रोगी को दिन में दो बार पिलाएँ। इसका 4-5 दिन प्रयोग करने से पीलिया रोग शर्तिया ठीक हो जाता है।

15. पोलियो में पीपल के फायदे

आजकल पोलियो रोग की रोक-थाम के लिए बच्चों को सरकार की ओर से ‘पोलिया ड्राप्स' पिलाई जाती है। लेकिन इसकी दवा भारत में बहुत पहले से ही मौजूद है। पीपल के 2-4 ताजे पत्तों को 2-4 लिसौढ़े के पत्तों के साथ अच्छी तरह घोंट लें। फिर उसे छानकर हल्के सेंधे नमक के साथ नित्य लेते रहें। पोलियो हो जाने पर भी इस दवा से बहुत जल्द आराम मिलता है।

16. पेट के रोग में पीपल के फायदे

पीपल की जड़ की छाल लेकर उसका काढ़ा बना लें। उस काढे में नमक और गुड़ मिलाकर रोगी को पिलाने से पेट के समस्त रोगों में चमत्कारिक लाभ होता है। 'दर्द', 'कब्ज', 'वायु विकार', ‘पीठ-दर्द', 'पेट के कीड़े', 'अपच', 'दस्त', ‘पेचिश' आदि रोग ठीक हो जाते हैं। पीपल की सूखी छाल को जलाकर पानी में बुझा ले। फिर इस पानी को छानकर पीने से ‘वमन', 'उकाइयाँ' आदि में बड़ा आराम मिलता है।

17. दस्त में पीपल के फायदे

दस्तों को रोकने के लिए पीपल के अंकुरों के साथ खिचड़ी बनाकर रोगी को खिलाएँ। यदि दस्त पतले, पीले और खून मिश्रित आ रहे हों तथा पेट में जलन भी हो रही हो, तो पीपल के कोमल पत्तों का साग बनाकर रोगी को दें।

(और पढ़े : काली खाँसी का घरेलू इलाज, इसके लक्षण और बचाव के तरीके

(और पढ़े : चर्म रोग के घरेलू इलाज)

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