पिप्पली के फायदे - पिप्पली के चूर्ण के फायदे | Pippali Ke Fayde

पिप्पली को संस्कृत में ‘मागधी', 'कृष्णा', 'वैदेही', 'चपला', 'ऊषणा', ‘शौण्ड्री', 'उपकुल्या', 'तीक्ष्ण तण्डुला' आदि नामों से जाना जाता है। यह पिप्पली छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती है, जो भारतवर्ष के गर्म इलाकों में पैदा होती है। बड़ी पिप्पली प्रायः मलेशिया, इण्डोनेशिया और सिंगापुर से आयात की जाती है। शरद ऋतु में इसकी बेल फलों से लद जाती है। यह भूमि पर पसरकर फैलती है। इसके पत्ते 2 से चार इंच तक लंबे और दो इंच चौड़े होते हैं जो पान के पत्तों के सदृश दिखाई पड़ते हैं।

इसके फूल अलग-अलग लताओं पर खिलते हैं और इसका फल लंबा होता है जो पकने पर लाल हो जाता है तथा सूखने पर धूसर वर्ण का होता है। इस पौधे के फलों को ही पिप्पली कहते हैं। इस पौधे की जड़ गांठदार, कड़ी, भारी और लकड़ी जैसी होती है। जड़ तोड़ने पर सफेद रंग की निकलती है। यह जड़ जितनी अधिक मोटी और वजनदार होती है, उतनी ही गुणकारी होती है।

पिप्पली के रोगोपचार में फायदे

पिप्पली वीर्यवर्द्धक और उत्तेजना देने वाली औषधि है। इसका स्वाद स्निग्ध,कटु और तीक्ष्ण होता है। इसकी तासीर गर्म है। यह कफ बनाती है, पित्त को शांत करती है, पाचन अग्नि को प्रदीप्त करती है, खाँसी, साँस, उदर रोग, ज्वर, कोढ़, बवासीर, आँव आदि को नष्ट करती है। सर्दियों में कफ प्रधान रोगों, जैसे-दमा, श्वाँस में तकलीफ, खाँसी, खकार आना, नजला आदि में यह विशेष लाभकारी है। यह रक्तशोधक है, क्षय रोग का नाश करने वाली है, पाचन-क्रिया को बढ़ाती है पेट के कीड़ों को मारती है।

1. पेट के रोग में पिप्पली के फायदे

छोटी पिप्पली का एक नग लेकर उसे गाय के 250 ग्राम दूध में उबालें। उबालकर पहले पिप्पली खा लें और ऊपर से मिश्री या चीनी मिलाकर दूध पी ले। इस प्रकार अगले दिन दो पिप्पली तीसरे दिन तीन इस प्रकार एक-एक पिप्पली बढ़ाते जाएँ और ग्यारह पिप्पली तक ले जाएँ तथा फिर एक-एक पिप्पली घटाकर फिर से एक पिप्पली पर आ जाएँ। यह एक पूरा कल्प है।

इस कल्प के करने से सर्दी', 'कफ', ‘खाँसी', ‘पेट के कीड़े', ‘नजला-जुकाम', 'अपच', मंदाग्नि' गैस' आदि रोग नष्ट हो जाते हैं। घी, तेल, व खट्टी चीजों का कल्प के समय परहेज रखें।

2. मरोड़, उदरशूल में पिप्पली के फायदे

पिप्पली के दो ग्राम चूर्ण में दो ग्राम काला नमक,गर्म जल के साथ सेवन करने से पेट-दर्द, मरोड़, बदहजमी, दुर्गन्ध युक्त दस्त आदि ठीक हो जाते हैं। इसके साथ 2 ग्राम छोटी हरड़ का चूर्ण भी यदि ले लें तो सोने में सुहागा जैसी बात हो जाती है। पेट के समस्त रोगों के लिए यह रामबाण औषधि है।

3. जिगर का बढ़ने में पिप्पली के फायदे

2 ग्राम पिप्पली का चूर्ण एक चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से बहुत शीघ्र लाभ होता है।

4. मंदाग्नि में पिप्पली के फायदे

पप्पली का चूर्ण 100 ग्राम, गुड़ 100 ग्राम, गाय का घी 1 किलो, बकरी का दूध 4 किलो (यदि न मिले तो गाय का ले सकते हैं) इन चारों को मंदी आँच पर पकाएँ। जब केवल घी रह जाए तो इस घी का प्रयोग करें। एक-एक चम्मच दिन में तीन बार अवश्य लें। मंदाग्नि की शिकायत सदैव के लिए चली जाएगी।

5. बवासीर में पिप्पली के फायदे

आधा चम्मच पिप्पली का चूर्ण, आधा चम्मच भुना हुआ जीरा तथा थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर प्रात:काल मट्ठे के साथ खाली पेट सेवन करने से बवासीर रोग में बड़ा आराम मिलता है।

6. गर्भ धारण और मासिक धर्म की पीड़ा में पिप्पली के फायदे

अनियमित मासिक धर्म के कारण कन्याओं को तथा स्त्रियों को बड़ी पीड़ा सहनी पड़ती है। इसके लिए पिप्पली, सौंठ, मरिच और नागकेशर बराबर-बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का आधा चम्मच लेकर दूध के साथ सेवन करें। इसमें यदि आधा या एक चम्मच शुद्ध घी भी मिला लें तो भारी लाभ होता है।

इसके सेवन से बाँझ स्त्रियाँ भी ‘गर्भ धारण करने में सक्षम हो जाती हैं। और मासिक धर्म की अनियमितता नष्ट हो जाती है। गर्भाशय का विकास भी इससे समाप्त हो जाता है। इसका सेवन कम-से-कम 3 माह तक करना चाहिए।

7. मोटापा में पिप्पली के फायदे

पिप्पली का चूर्ण 2 ग्राम शहद के साथ दिन में तीन बार प्रयोग करें। कुछ ही हफ्तों में चरबी बँट जाएगी और मोटापा दूर हो जाएगा। इस चूर्ण को लेने के उपरांत एक घंटे तक जल के अतिरिक्त कुछ भी सेवन नहीं करना चाहिए। यह अचूक दवा है। मोटापा निश्चित रूप से जाता रहेगा।

8. हिचकी में पिप्पली के फायदे

पिप्पली व मुलहठी का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर उसमें उतनी ही शक्कर, चीनी, बूरा, कुछ भी मिला लें। जब हिचकी आने लगे, तब 3 ग्राम चूर्ण नींबू के रस में पानी मिलाकर उसमें चूर्ण मिलाकर पीने से हिचकी रुक जाएगी। इससे 'उल्टी' में भी लाभ मिलता है।

9. नेत्र रोग में पिप्पली के फायदे

पिप्पली के खूब महीन चूर्ण को कपड़छन कर लें और उसे सलाई द्वारा अंजन या सुरमे की तरह आँखों में नित्य लगाएँ। ऐसा करने से कुछ ही समय में नेत्रों की धुंध', 'रतौंधी', 'जाला', 'रोहे', 'लाली' आदि दूर हो जाती है।

10. दाँत का दर्द में पिप्पली के फायदे

पिप्पली के 2 ग्राम चूर्ण में सेंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दाँतों पर रगड़ें। जल्द ही बादी का पानी निकल जाएगा और दाँत का दर्द ठीक हो जाएगा।

11. सिर-दर्द में पिप्पली के फायदे

पिप्पली, काली मिर्च, मुनक्का, मुलैठी और सौंठ के समभाग को लेकर पीस लें और चूर्ण बना लें। इसके 2 ग्राम चूर्ण को गाय के मक्खन में पकाकर और छानकर, उसकी नस्य लें। सिर दर्द ठीक हो जाएगा। पिप्पली को पानी में पीसकर मस्तक पर लेप करने से भी सिर दर्द ठीक हो जाता है।

12. आधाशीशी दर्द' में पिप्पली के फायदे

पिप्पली और बच के चूर्ण को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर रख लें। उसमें से 3 ग्राम चूर्ण नियमित रूप से दो बार दूध के साथ लेते रहने से आधाशीशी का दर्द नहीं होगा।

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