इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको मलेरिया से जुड़ी सभी जानकारियों जैसे- प्लेग रोग क्या होता है, प्लेग रोग का प्रसार एवं इससे बचने के उपाय जैसी हर जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं ताकि आप इस बीमारी से खुद को एवं अपने बच्चों को बचा सकें।
प्लेग एक तीव्र संक्रामक बीमारी है जो शीघ्र ही महामारी का उग्र रूप धारण कर लेता है। प्लेग फैलाने वाले जीवाणु चूहों एवं चूहों पर पलने वाले पिस्सुओं में पाया जाता है। प्लेग एक अत्यन्त ही खतरनाक बीमारी है और जब इसका प्रकोप फैलता है तो गाँव के गाँव साफ हो जाते हैं। भारी संख्या में लोगों की मृत्यु हो जाती है। प्लेग न केवल भारत की, वरन् समस्त विश्व की समस्या है। संसार का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो प्लेग से अछूता होगा।
भारत में Tatera Indica नामक जंगली चूहा प्रमुख रूप से प्लेग फैलाता है। ध्यान रहे घरेलू चूहा प्लेग रोग नहीं फैलाता है। प्लेग सभी उम्र के स्त्री-पुरुष को हो सकते हैं। परन्तु पुरुषों को प्लेग होने की सम्भावना सबसे अधिक रहती है, विशेषकर उन्हें जिनका व्यवसाय एवं काम-धन्धा ही खेती करना, जंगलों में जाकर शिकार करना, लकड़ी काटकर लाना, पशुओं को चराना आदि होता है।
दरअसल प्लेग चूहों का रोग है, परन्तु मानव भी इससे अछूता नहीं है। चूहे मनुष्य के सम्पर्क में आते हैं और प्लेग का प्रसार करते हैं। जंगली चूहों की लगभग 200 प्रजातियाँ हैं जो प्लेग का प्रसार करते हैं। मनुष्य में प्लेग रोग तीन प्रकार का होता है।
न्यूमोनिक प्लेग - यह प्लेग बहुत ही कम (1% से भी कम) होता है। यह बिन्दुक माध्यम के कारण फैलता है। परन्तु यह प्लेग तीव्र संक्रामक है तथा अतिशीघ्रता से इंसका प्रसार होता है। रोगी के थूक, खखार, बलगम में इसके जीवाणु उपस्थित रहते हैं।
बल्बोनिक प्लेग - जब प्लेग से संक्रमित पिस्सू किसी स्वस्थ व्यक्ति के हाथों-पैरों में काटता है तो बल्बोनिक प्लेग हो जाता है। पिस्सू के काटे हुए स्थानपर छाला पड़ जाता है। वहाँ खूब संख्या में Y। Pestis इकट्टे हो जाते हैं जो रक्त प्रवाह के माध्यम से लसीका ग्रन्थि तक पहुँच जाते हैं, वहाँ इनकी वृद्धि एवं विकास तेजी से होता है।
सेप्टीसीमिक प्लेग - जब बल्बोनिक प्लेग का समय पर उपचार नहीं किया जाता है तो यह सेप्टीसीमिक प्लेग में बदल जाता है। इससे रोगों की दशा और भी अधिक खराब हो जाती है।
Y। Pestis, यह एक प्रकार का कोक्सो बैसिलस बैक्टीरिया है। यह ग्राम निगेटिव एवं अगतिशील होता है। यह बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति की ग्रंथियो, रक्त, तिल्ली, लिवर तथा अन्य अंतरांगों में पाया जाता है। न्यूमोनिक प्लेग की स्थिति में यह रोगी व्यक्ति के थूक, खखार, बलगम और नाक से निकले स्राव में भी पाया जाता है। Y। Pestis चूहों के बिलों वाली मिट्टी में पनपता, बढ़ता एवं वृद्धि करता है तथा मौका पाते ही रोग फैलाता है।
निम्नलिखित कारणों से प्लेग रोग का प्रसार होता है:-
रोगी व्यक्ति के उपयोग में ली गई वस्तुओं जैसे-कंघी, तौलिया, रूमाल, पहनने-ओढ़ने के वस्त्र आदि से।
प्लेग के लक्षण कुछ इस प्रकार के होते हैं:-
कई जगह त्वचा के नीचे रक्तस्राव होने लगता है।
प्लेग से बचाव के उपाय निम्न प्रकार से हैं:-
जब तक रोगी ठीक नहीं हो जाए उसे स्वस्थ व्यक्ति से अलग रखना चाहिए।
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