हेपेटाइटिस ‘E' से बचाव - हेपेटाइटिस ‘E' के लक्षण और डेल्टा हिपेटाइटिस

इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम आपको हिपेटाइटिस 'E' से जुड़ी सभी जानकारियों जैसे- हिपेटाइटिस 'E' क्या है, हिपेटाइटिस 'E' के लक्षण एवं हिपेटाइटिस 'E' से बचाव जैसी हर जानकारी से अवगत कराना चाहते हैं ताकि आप इस बीमारी से खुद को एवं अपने बच्चों को बचा सकें।

हिपेटाइटिस ‘E' क्या है - What Is Hepatitis 'E' In Hindi

हिपेटाइटिस 'E' क्या है? यह रोग भी विश्वव्यापी है। और लोगो मे इस रोग की जागरूकता कम है इस लिए आज हम हिपेटाइटिस 'E' बारे मे बताएँगे। हिपेटाइटिस 'E' एक संक्रमण फैलाने का काम करता है। अधिकांश देशों ने इस रोग के होने की पुष्टि की परन्तु यह रोग काफी खतरनाक एवं जानलेवा नहीं है। ग्रीष्म ऋतु में इस रोग का प्रचार-प्रसार तेजी से होता है। कभी-कभी यह रोग उग्र रूप धारण कर लेता है। यह रोग प्रमुख रूप से असुरक्षित पेयजल, संदूषित भोजन एवं मक्खियों से फैलता है।

Hepatitis 'E' kya hai

यह रोग फैलाने वाले कारक हैं 'हिपेटाइटिस 'E' विषाणु' तथा यह एक 29-NM-32NM, RNA वायरस है। इसका समय औसतन 2-9 सप्ताह का होता है पर कभी-कभी 3-4 महीनों तक चलता है।

गर्भवती महिलायें विशेषकर इस संक्रमण की अधिक शिकार होती हैं जिसके कारण गर्भस्थ शिशु की गर्भ में ही मृत्यु हो जाती है अथवा गर्भपात हो जाता है।

हिपेटाइटिस ‘E ' के लक्षण - Symptoms Of Hepatitis 'E' In Hindi

हिपेटाइटिस 'E' के लक्षण इस प्रकार से हैं:-

  • HEV से संक्रमित रोगियों में वे सभी लक्षण देखने को मिलते हैं जो हिपेटाइटिस Aविषाणु संक्रमण (HAV) के कारण होता है,
  • जैसे-बदन दर्द
  • सिरदर्द
  • बुखार लगना
  • चक्कर आना
  • जी मिचलाना
  • शारीरिक कमजोरी
  • कब्ज होना
  • वमनहोना आदि
  • पोलियो हो जाता है

हिपेटाइटिस ‘E ' से बचाव - Hepatitis 'E' Prevention In Hindi

नीचे दिए गए तरीकों को अपना कर हम हिपेटाइटिस 'E' से बचाव कर सकते हैं, जोकि इस प्रकार से हैं:-

  • यह रोग जलवाहित है। संदूषित जल के सेवन से इस रोग का प्रसार होता है। अतः सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करवाना चाहिए।
  • जल को उबालकर पीना चाहिए।
  • सार्वजनिक जल वितरण से पूर्व जल का पूर्णरूपेण शुद्धिकरण किया जाना चाहिए।

washhand

  • जल में मल का प्रवाह नहीं किया जाना चाहिए।
  • मल का निष्कासन एवं निस्तारण उचित तरीके से किया जाना चाहिए।
  • खाना खाने से पूर्व एवं बाद में अपने हाथों को साबुन से ठीक प्रकार से धोनाचाहिए।
  • मल त्याग के पश्चात् हाथों को साबुन से धोना जरूरी है।
  • समय-समय पर नाखूनों को काटते रहना चाहिए।
  • गन्दे नाले के आसपास उगायी गई सब्जियों एवं फलों का सेवन नहीं करनाचाहिए।
  • सब्जियों एवं फलों को खाने से पूर्व जल की बहती धारा में भली-भाँति धो लेनाचाहिए।
  • खाने-पीने की सभी वस्तुओं को मक्खियों, तिलचट्टों आदि से बचाकर रखनाचाहिए।
  • खाद्य पदार्थों को ढंककर रखना चाहिए।

डेल्टा हिपेटाइटिस क्या है - What Is Delta Hepatitis In Hindi

आजकल एक और नये प्रकार के विषाणु का पता चला है जिसे 'D' हिपेटाइटिसया डेल्टा हिपेटाइटिस कहा जाता है। इस हिपेटाइटिस का संक्रमण भी विषाणु के कारण होता है और हिपेटाइटिस ‘B' की तरह ही काफी खतरनाक एवं जानलेवा है।यह अक्सर हिपेटाइटिस ‘B' के साथ ही होता है। इसका बचाव एवं उपचार भी हिपेटाइटिस ‘B' की तरह ही है।

और पढे- हेपेटाइटिस ‘B' से बचाव - हेपेटाइटिस ‘B' के कारण और लक्षण

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