जिस रोग में रोगी की आंखें, त्वचा, मुख एवं नाखून हल्दी के समान पीले हो जाते हैं। रोगी का वर्ण बरसाती मेढक के समान पीला हो जाता है। उसे पीलिया या जोंडिस कहते हैं।
(1) कोष्ठाश्रित जोंडिस
(2) शाखाश्रित जोंडिस।
ये लक्षण मुख्य रूप से कोष्ठाश्रित जोंडिस के हैं।
ये लक्षण मुख्य रूप से शाखाश्रित जोंडिस के हैं।
(1) गिलोय का ताजा रस 15 मि.लि। शहद में मिलाकर दिन में दो बार दें।
(2) आरोग्यवर्द्धनी वटी 500 मि.लि। ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार दें।
(3) मंडूर भस्म 1-2 ग्राम शहद में मिलाकर दो बार दें।
(4) निशालौह 500 मि.ग्राम दिन में तीन बार मिलाकर साथ दें।
(5) कुटकी चूर्ण 1 ग्राम, हरीतकी चूर्ण 1 ग्राम दिन में तीन बार मधु व नींबू के रस से दें।
(6) कामलाहर रस 500 मि.ग्राम दिन में तीन बार लेना चाहिए।
(7) काशीस भस्म 240 मि.ग्राम, त्रिकटु चूर्ण 1 ग्राम दिन में तीन बार मधु व नींबू के रस के साथ दें।
(8) फलत्रिकादि काढा 50 मि.लि। प्रातः एक बार दें।
(9) पर्पटाद्यारिष्ट या धात्र्यारिष्ट 30 मि.लि। समभाग जल मिलाकर दें।
(10) द्रोण पुष्पी का रस या नीम के पत्तों का रस आंखो में अंजन करें।
(11) पुनर्नवा तेल की मालिश करें।
(12) तीखी मूली का रस 40 मि.लि., और अदरक रस 15 मि.लि।
शक्कर 12 ग्राम मिलाकर दो बार पिलाएं।
लाभ - गेहं, जौ, चना, दलिया, खिचड़ी, पालक, मेथी, बथुआ, लौकी, तोरई, टिंडा, परवल, कच्ची मली। पपीता, मौसमी, अनार, सेव, नारियल पानी, आंवला, बकरी या गाय का दूध, छाछ, गन्ने का रस लाभकारी है।
नुकसान - मिर्च, तेल, गरम मसाला, आलू, चावल, पीले रंग की वस्तु, हल्दी, तले पदार्थ, चाय, काफी उडद का सेवन हानिकारक है।
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