यह एक तीव्र संक्रामक रोग हैं। इस ज्वर में पहले सर्दी के साथ थोड़े समय में ही तेज बुखार, बहुत तेज सिर दर्द, सारे शरीर में असहनीय पीड़ा, खांसी, गले और मुख में लालिमा, बेचैनी, शरीर में कंपकंपाहट, निद्रा का नाश तथा नाड़ी की गति सामान्य से अधिक बढ़ी हुई मिलती है।
इंफ्लुएंजा के चार लक्षण मुख्य होते हैं। ज्वर, सिर एवं सारे शरीर में दर्द, जुकाम तथा अधिक दुर्बलता। रोग का संचय काल कुछ घंटों से लेकर अधिक से अधिक पांच दिन तक होता है। इस रोग का फैलना मुख्यतया रोगी से मिलने से स्पर्श से, साथ खाने-पीने से, दूषित वस्त्र आदि धारण करने से तथा दूषित वायु के द्वारा होता है।
1।
त्रिभुवन कीर्ति रस 125 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार दें।
2। लक्ष्मीविलास रस 125 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार दें।
3। ज्वराय॑भ्र रस 125 मि.ग्राम अदरक रस के साथ दिन में तीन बार दें।
4। कस्तुरी भैरव रस 125 मि.ग्राम मधु के साथ तीन बार चटाएं।
5। चतुर्मुख रस 125 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद या उष्ण जल से दें।
6। सौभाग्य वटी 125 मि.ग्राम शहद में मिलाकर तीन बार दिन में दें।
7। महालक्ष्मी विलास 125 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद या पान के रस के साथ दें।
8। श्रृंग भस्म 125 मि.ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार चटाएं।
9। कफ केतु या कफ चिंतामणि की 3-4 गोली चूसने के लिए दें।
10। गोजिह्वादि क्वाथ 10-20 मि.लि। रात्रि में सोते समय दें।
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