श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) क्या है | श्वेत प्रदर के प्रकार और घरेलु इलाज

श्वेत प्रदर में स्त्री के योनि मार्ग से चिपचिपा, झागदार सफेद स्राव निकलता रहता है जिससे रोगिणी के सारे शरीर में बेचैनी एवं कमर के नीचे के हिस्सों में दर्द होता रहता है।

श्वेत प्रदर दो प्रकार का होता है।

1। स्थानिक रक्तवृद्धि के कारण ग्रंथियों से होने वाला गर्भाशय ग्रीवागत स्राव तथा योनि स्राव। ये स्राव प्राकृतिक और अविकारी कहे जाते हैं।

2। योनि में लैक्टिक अम्ल की कमी से होने वाला स्राव, तथा ईष्ट्रोजन की कमी से योनि की दीवारों से झरने वाला स्राव लैक्टिक अम्ल की कमी से योनि की अस्वस्थ दीवार पर सूक्ष्म जीवाणु भी आकर पनपने लगते हैं। जिससे स्राव में वृद्धि होती रहती है।

श्वेत प्रदर में घरेलु इलाज़

रक्त प्रदर में रक्तपित्त, रक्तातिसार तथा रक्तार्श की चिकित्सा तथा श्वेत प्रदर में शुक्रमेह की चिकित्सा लाभकर होती है। मुख द्वारा औषधि देने के साथ ही रक्त प्रदर में फिटकरी के जल से तथा बबूल के क्वाथ से और श्वेत प्रदर में शुद्ध टंकण (सुहागा) के जल से या त्रिफला क्वाथ से योनि को धोना चाहिए। दोनों प्रदरों में तुरंत लाभ के लिए कुश की जड़ का क्वाथ तथा लंबे समय के प्रयोग के लिए अशोक की छाल का क्षीरपाक लाभकर होता है।

यदि रोगिणी को हलका बुखार भी रहता हो तो रक्त प्रदर में कामदुधा व श्वेत प्रदर में बसंत मालती रस का प्रयोग करे। हाथ-पैरों की जलन के लिए सौ बार धोए हुए घृत या सेंधा नमक मिले मक्खन की मालिश तथा सर्व शरीर में लाक्षादि तेल, चंदनादि तेल या चंदन बला लाक्षादि तेल की मालिश हितकर है। सारे शरीर में दर्द के लिए चंद्रप्रभा दो गोली प्रातः सायं दूध के साथ तथा रसराज रस 120 मि.ग्राम शहद के साथ दें। कब्ज के लिए त्रिफला चूर्ण, हरीतकी चूर्ण, स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण या इसबगोल का प्रयोग करना चाहिए।

1। शुद्ध गैरिक 250 - 500 मि.ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार सेवन करें।

2। लोध्र चूर्ण 1-3 ग्राम वट की छाल के क्वाथ के साथ दो बार सेवन करें।

3। मोचरस चूर्ण 2 ग्राम, प्रवाल भस्म 2 ग्राम चावल के धोवन के साथ दो बार दें।

4। मुलहठी चूर्ण व शर्करा सम भाग मिलाकर 3-4 ग्राम चावल के धोवन के साथ दें।

5। शिलाजत्वादि वटी 1-2 वटी दूध के साथ दो बार दें।

6। प्रदरांतक रस 120-250 मि.ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार दें।

7। कामदुधा रस 120 मि.ग्राम, चंद्रकला रस 120 मि.ग्राम शहद के साथ दो बार दें।

8। स्वर्ण माक्षिक भस्म 120 मि.ग्राम शहद के साथ दो बार दें।

9। चंद्राशुरस 120 मि.ग्राम, सर्वांगसुंदर रस 120 मि.ग्राम शहद के साथ दो बार दें।

10। उत्पलादि चूर्ण, प्रदत्तक चूर्ण, पुष्यानुग चूर्ण 1 ग्राम चावल के धोवन से दो बार दें।

11। सुपारी पाक, मुसली पाक का प्रयोग दूध से दो बार करें।

12। उशीरासव 20 मि.लि। समभाग जल से भोजन के बाद दें।

13। बब्बूलाद्यारिष्ट 20 मि.लि। समभाग जल से दो बार दें।

14। पत्रांगासव 20 मि.लि। समभाग जल से दो बार दें।

15। अशोकारिष्ट 20 मि.लि। समभाग जल से दो बार दें।

16। लोध्रासव 20 मि.लि। समभाग जले से दो बार दें।

17। एम 2 टोन टेबलेट तथा एम2टोन सिरप दो बार जल से दें।

18। न्योग्राधाद्य घृत का प्रयोग दूध से करें।

19। कुक्कुटांडत्वक भस्म - 240 मि.ग्राम, यशद भस्म - 120 मि.ग्राम, आंवले का चूर्ण - 520 मि.ग्राम --- 1x2 प्रातः सायं मधु के साथ।

20। चंद्रप्रभा वटी - 500 मि.ग्राम , त्रिफला चूर्ण - 2 ग्राम -----1X2 दो रात गरम जल से दें।

21।

अशोकारिष्ट - 20 मि.लि.- -- 1x2 भोजनोत्तर समभाग जल मिलाकर दें।

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