प्रोटीने की कमी से होने वाले रोग और उनके लक्षण निम्न प्रकार हो सकते है यदि एक संतुलित आहार अपने भोजन मे शामिल न किया जाए। जैसे-
यह रोग अक्सर छोटे बच्चों में प्रोटीनयुक्त आहार की कमी के कारण हो जाता है। गरीब परिवार के बच्चों में यह रोग ज्यादा होता है।
क्वाशिंओरकर रोग के लक्षण निम्न प्रकार बताएं गए है-
इसमें बच्चों का शरीर सुखकर काँटा हो जाता है। यह प्रोटीन कैलॉरी की कमी से होने वाला रोग है जो कि पौष्टिक भोजन के अभाव में बच्चों को होता है। इसे प्रोटीन कैलॉरी मालन्यूट्रिशन भी कहते हैं।
मरासमस (पी.सी.एम.) रोग के लक्षण निम्न प्रकार है-
रतौंधी एक आम रोग है जो बच्चों एवं बड़ों में विटामिन ‘ए’ की कमी से होता है। रतौंधी में शाम के वक्त या रात्रि में दिखलाई नहीं देता। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो व्यक्ति या बालक अंधा भी हो सकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि देश में अभी भी विटामिन ए की कमी से प्रतिवर्ष कई हजार बच्चे अर्ध हो जाते हैं जबकि इस तरह के अंधत्व को आसानी से रोका जा सकता है।
रतौंधी के लक्षण निम्न हैं-
यह रोग बच्चों अथवा शिशुओं में विटामिन डी। की कमी से होता है।
सूखा रोग के लक्षण निम्न प्रकार है-
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हड्डियों में परिवर्तन- यह रिकेट्स का प्रमुख लक्षण है।
पैर की हड्डियाँ बढ़ जाने से बच्चे की चाल में भी फर्क आ सकता है। घुटनों की सामान्य प्रक्रिया भी इससे प्रभावित हो सकती है।
स्कर्वी रोग शुरू में लम्बे समय के लिए समुद्री यात्रा पर जाने वाले नाविकों में होता देखा गया था। यह रोग विटामिन सी(जिसे एस्कार्बिक अम्ल भी कहते हैं) की कमी से होता है। जो व्यक्ति भोजन में ताजे फल या सब्जियाँ लम्बे समय तक नहीं ले पाते ऐसे लोगों की स्कर्वी रोग की सम्भावना अधिक होती है। यह बीमारी बच्चों में कम ही पाई जाती है लेकिन भारत के कुछ शिशुओं में यह रोग मिलता है।
स्कर्वी रोग के लक्षण इस प्रकार है-
मसूड़ों में संक्रमण भी हो जाता है।
शरीर की त्वचा से खून निकलता है, शुरू में घुटनों के ऊपर जाँघों के रोम छिद्रों से खून निकलता है यह खून बालों की जड़ों से रिसता है, नाक और टट्टी के रास्ते से भी खून आ सकता है। खून निकलने से मरीज को अक्सर रक्ताल्पता की शिकायत भी हो जाती है। इन सबके अलावा शरीर में कोई घाव हो जाने पर वह भरता नहीं है। बच्चों में रक्ताल्पता, हाथ पैरों में छूने पर दर्द लगातार होना आदि लक्षण मिलते हैं।
रक्ताल्पता या खून की कमी बहुत ही सामान्य रोग है। भारत में अधिकतर गर्भवती महिलाओं में रक्ताल्पता होती है। इस बीमारी में खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे खून, शरीर के विभिन्न भागों को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन नहीं दे पाता और इस कारण शरीर कमजोर हो जाता है। महिलाएँ पर्याप्त मात्रा में सन्तुलित भोजन नहीं ले पाती हैं। जिससे शरीर को आवश्यक लोहा और विटामिन, बी-12 एवं फोलेट की मात्रा नहीं मिल पाती।
रक्ताल्पता या खून की कमी के लक्षण इस प्रकार है-
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बेरी-बेरी रोग विटामिन बी-समूह के थायमिन या विटामिन बी-1 की कमी से होता है। यह बीमारी दो प्रकार की होती है :
(1) ड्राई बेरी-बेरी
(2) वेट बेरी-बेरी।
शुरू में दोनों तरह की बेरी-बेरी में एक समान लक्षण होते हैं जैसे-
बाद में यह स्थिति और भी गम्भीर होकर दोनों तरह के बेरी-बेरी रोग में से किसी एक में बदल सकती है-
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