शरीर मे प्रोटीन (protein) की कमी से होने वाले रोगो के नाम और उनके लक्षण

प्रोटीने की कमी से होने वाले रोग और उनके लक्षण निम्न प्रकार हो सकते है यदि एक संतुलित आहार अपने भोजन मे शामिल न किया जाए। जैसे-

क्वाशिंओरकर - Kwashiorkor Disease

यह रोग अक्सर छोटे बच्चों में प्रोटीनयुक्त आहार की कमी के कारण हो जाता है। गरीब परिवार के बच्चों में यह रोग ज्यादा होता है। 

क्वाशिंओरकर रोग के लक्षण - Symptoms Of Quasinorker Disease In Hindi

क्वाशिंओरकर रोग के लक्षण निम्न प्रकार बताएं गए है-

  • शरीर में सूजन आना
  • शरीर की बाढ़ रुक जाना
  • स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाना
  • खून की कमी एवं दस्त लगना
  • दन्तक्षय होना
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना

रक्ताल्पता या खून की कमी के लक्षण - Symptoms Of Anemia In Hindi

मरासमस (पी.सी.एम.) - Marasmus Disease

इसमें बच्चों का शरीर सुखकर काँटा हो जाता है। यह प्रोटीन कैलॉरी की कमी से होने वाला रोग है जो कि पौष्टिक भोजन के अभाव में बच्चों को होता है। इसे प्रोटीन कैलॉरी मालन्यूट्रिशन भी कहते हैं।

मरासमस (पी.सी.एम.) रोग के लक्षण - Symptoms Of Marasmus Disease In Hindi

मरासमस (पी.सी.एम.) रोग के लक्षण निम्न प्रकार है-

  • बच्चा बहुत दुबला और कमजोर हो जाता है।
  • माँसपेशियाँ कमजोर और चर्बी की मात्रा कम हो जाती है।
  • बच्चे का वजन कम हो जाता है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है।

अंधत्व एवं रतौंधी - Blindness And Night Blindness Disease

रतौंधी एक आम रोग है जो बच्चों एवं बड़ों में विटामिन ए’ की कमी से होता है। रतौंधी में शाम के वक्त या रात्रि में दिखलाई नहीं देता। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो व्यक्ति या बालक अंधा भी हो सकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि देश में अभी भी विटामिन ए की कमी से प्रतिवर्ष कई हजार बच्चे अर्ध हो जाते हैं जबकि इस तरह के अंधत्व को आसानी से रोका जा सकता है। 

अंधत्व एवं रतौंधी के लक्षण - Symptoms Of Night Blindness Disease In Hindi

रतौंधी के लक्षण निम्न हैं-

  • आँखों में पुतली के चारों ओर के सफेद भाग पर मटमैले रंग के धब्बे दिखलाई देते हैं जिन्हें विटॉट स्पॉटस कहते हैं।
  • त्वचा खुश्क, खुरदरी हो जाती है और बालों की चमक चली जाती है।
  • दृष्टि में धुंधलापन आ जाता है। 

सूखा रोग - Rickets Disease

यह रोग बच्चों अथवा शिशुओं में विटामिन डी। की कमी से होता है। 

सूखा रोग के लक्षण - Symptoms Of Rickets Disease In Hindi

सूखा रोग के लक्षण निम्न प्रकार है-

  • अज्ञान और पुराने रीति-रिवाज भी सूखा रोग के लिए उत्तरदायी होते हैं। उदाहरणार्थ, छोटे बच्चों को पूरी तरह कपड़ों से ढककर रखा जाता है। इस कारण उनके शरीर पर धूप नहीं लग पाती।
  • चूँकि विटामिन-डी का निर्माण शरीर की त्वचा पर धूप लगने से ही होता है, शरीर ढका रहने से बच्चों में विटामिन डी का निर्माण नहीं हो पाता और वे इस रोग से ग्रस्त हो जाते हैं। सूखा रोग एक साल के बच्चों को अधिकतर होता है। जब बच्चा स्वयं चलने फिरने लगता है तो बहुत से मामलों में यह बीमारी स्वयं दूर हो जाती है। कैलशियम की कमी भी रोग में मुख्य भूमिका होती है।

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हड्डियों में परिवर्तन- यह रिकेट्स का प्रमुख लक्षण है।

  • इसमें जोड़ों की हड्डियों के बढ़ाने वाले सिरे फैल जाते हैं। सिर की हड्डियों के बीच विशेष तरह के गोलाकार टुकड़े बन जाते हैं। जिन्हें दबाने पर आवाज निकलती है।
  • सीने की हड्डियों में भी असामान्यता उत्पन्न हो जाती है जिससे सीने का आकार आगे की ओर उठा हुआ दिखता है। यदि सूखा रोग ठीक नहीं होता तो आगे जाकर बच्चे की रीढ़ की हड्डी टेढ़ी (काइफोसिस) हो सकती है।

पैर की हड्डियाँ बढ़ जाने से बच्चे की चाल में भी फर्क आ सकता है। घुटनों की सामान्य प्रक्रिया भी इससे प्रभावित हो सकती है। 

स्कर्वी रोग - Scurvy Disease

स्कर्वी रोग शुरू में लम्बे समय के लिए समुद्री यात्रा पर जाने वाले नाविकों में होता देखा गया था। यह रोग विटामिन सी(जिसे एस्कार्बिक अम्ल भी कहते हैं) की कमी से होता है। जो व्यक्ति भोजन में ताजे फल या सब्जियाँ लम्बे समय तक नहीं ले पाते ऐसे लोगों की स्कर्वी रोग की सम्भावना अधिक होती है। यह बीमारी बच्चों में कम ही पाई जाती है लेकिन भारत के कुछ शिशुओं में यह रोग मिलता है।

स्कर्वी रोग के लक्षण - Symptoms Of Scurvy Disease In Hindi

स्कर्वी रोग के लक्षण इस प्रकार है-

  • मसूड़ों में सूजन आ जाती है, इन्हें छूने पर खून निकलता है
  • दाँत ढीले होकर हिलने लगते हैं, गम्भीर स्थिति में दाँत गिर भी सकते हैं।

    मसूड़ों में संक्रमण भी हो जाता है।

शरीर की त्वचा से खून निकलता है, शुरू में घुटनों के ऊपर जाँघों के रोम छिद्रों से खून निकलता है यह खून बालों की जड़ों से रिसता है, नाक और टट्टी के रास्ते से भी खून आ सकता है। खून निकलने से मरीज को अक्सर रक्ताल्पता की शिकायत भी हो जाती है। इन सबके अलावा शरीर में कोई घाव हो जाने पर वह भरता नहीं है। बच्चों में रक्ताल्पता, हाथ पैरों में छूने पर दर्द लगातार होना आदि लक्षण मिलते हैं।

रक्ताल्पता या खून की कमी - Anemic

रक्ताल्पता या खून की कमी बहुत ही सामान्य रोग है। भारत में अधिकतर गर्भवती महिलाओं में रक्ताल्पता होती है। इस बीमारी में खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे खून, शरीर के विभिन्न भागों को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन नहीं दे पाता और इस कारण शरीर कमजोर हो जाता है। महिलाएँ पर्याप्त मात्रा में सन्तुलित भोजन नहीं ले पाती हैं। जिससे शरीर को आवश्यक लोहा और विटामिन, बी-12 एवं फोलेट की मात्रा नहीं मिल पाती। 

रक्ताल्पता या खून की कमी के लक्षण - Symptoms Of Anemia In Hindi

रक्ताल्पता या खून की कमी के लक्षण इस प्रकार है-

  • थोड़े से काम करने में साँस फूलना,
  • धड़कन मालूम होना या घबड़ाहट होना
  • हथेलियाँ और नाखून सफेद होना
  • हल्का बुखार भी आ सकता है
  • कमजोरी थकान महसूस होना

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बेरी-बेरी रोग - Berry-Berry Disease

बेरी-बेरी रोग विटामिन बी-समूह के थायमिन या विटामिन बी-1 की कमी से होता है। यह बीमारी दो प्रकार की होती है :

(1) ड्राई बेरी-बेरी

(2) वेट बेरी-बेरी।

बेरी-बेरी रोग के लक्षण - Symptoms Of Berry-Berry Disease In Hindi

शुरू में दोनों तरह की बेरी-बेरी में एक समान लक्षण होते हैं जैसे-

  • थकान, घबड़ाहट और पैरों में भारीपन की शिकायत होती है
  • पैरों में एवं चेहरे पर थोड़ी सूजन भी आ सकती है
  • सीने में दर्द भी होता है। धड़कन बढ़ जाती है
  • दोनों पैरों में पिन चुभने और शून्यता का आभास होता है
  • निचले पैरों की त्वचा अति सम्वदेनशील या असम्वेदनशील हो जाती है।

बाद में यह स्थिति और भी गम्भीर होकर दोनों तरह के बेरी-बेरी रोग में से किसी एक में बदल सकती है-

  • ड्राई बेरी-बेरी में स्नायु कमजोर हो जाते हैं और चलना भी कठिन हो जाता है
  • इसमें तन्त्रिका तन्त्र भी प्रभावित होता है
  • वेट बेरी-बेरी में शरीर में सूजन अधिक होती है,
  • साथ ही धड़कन तेज होना, साँस लेने में दिक्कत इत्यादि शिकायतें हो जाती हैं।
  • चलने में पैरों में दर्द भी होता है
  • तन्त्रिका सम्बन्धी शिकायतें भी हो सकती हैं
  • बीमारी की पहचान प्रयोगशाला में रक्त की जाँच द्वारा सम्भव होती है।

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