पीठ और कमर का दर्द होने के कारण | पीठ व कमर दर्द के प्रकार और घरेलु इलाज

पीठ और कमर का दर्द, चाहे वह नया हो या पुराना, कई कारणों से हो सकता है। रीढ़ की मनकों के बीच की तश्तरीनुमा चक्रिकाओं का रोगयुक्त होना, रीढ़ के जन्मजात विकार, दोनों टांगों की लम्बाई बराबर एक-सा न होना, बैठने-चलने का गलत ढंग, अधिक मोटापा, नितम्ब और पेडू के अवयवों की विभिन्न बीमारियां। अक्सर पीठ का दर्द पैदा कर सकते हैं। वास्तव में कारणों की सूची बहुत लम्बी है, लगभग अंतहीन।

पीठ व कमर दर्द के प्रकार

पीठ और कमर दर्द मुख्यतया चार प्रकार से होता है।

(1) तापोचार (2) यांत्रिक उपचार (3) रासायनिक उपचार (4) शल्योपचार।

(1) तापोचार में गर्म पानी की थैली और बिजली के गर्म पैड का उपयोग शामिल है गर्म पानी के टब में बैठना भी कुछ रोगियों को राहत देता है। अगर टब बहुत छोटा हो और रोगी को उसमें बहुत सिमटकर बैठना पड़े, तो उसमें लाभ के बजाय हानि हो सकती है। बिजली के पैड में इसका ध्यान रखना चाहिए कि त्वचा न झुलसे।

(2) यांत्रिक उपचार में मालिश, कार्सेट, पट्टियां, खिंचाव (ट्रैक्शन) और कई प्रकार के हस्तविधान (मैनिप्युलेशन) शामिल हैं। मालिश हल्की हो और नियमित रूप से काफी दिनों तक की जाये, तभी लाभ देती है। हफ्ते में एक-बार विशेषज्ञ से मालिश कराने के बजाय, घर पर ही किसी जानकारी से रोज दो-तीन बार मालिश कराना ज्यादा लाभप्रद होता है। और मालिश में अलकोहल का अथवा शरीर पर छिड़के जाने वाले सामान्य टाल्कम पावडर का भी उपयोग किया जा सकता है।

जरा सख्त और एकसार गद्दे पर सोना भी दवा का-सा काम करता है। तख्त पर पतला गद्दा बिछाकर सोना भी अच्छा है। बाकी प्रकार के यांत्रिक उपचार यानी खिंचाव और हस्त-विधान (मैविप्युलेशन) विशेषज्ञों की देखरेख में ही होने चाहिए।

(3) रासायनिक उपचार से आशय दवाओं से है। अक्सर एस्पिरीन या सालिसिलिक एसिड के दूसरे लवणों का उपयोग करना। ज्यादातर मामलों में वे सर्वोत्तम और सबसे सुरक्षित हैं। औसत बालिग रोगी बिना किसी दुष्प्रभाव के दिन में चार-बार दो-दो एस्पिरीन की टिकिया ले सकता है। ये पर्याप्त न हों तो फिनायल ब्यूटाजोन, डंडोयेथिसीन और कोर्टीकोस्टेरायड औषध लें। मगर जब तक डाक्टर न कहे, इन दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

मांस पेशियों का तनाव दूर करने वाले मेप्रोबामेट, कैरिसो प्रोडोल आदि और औषध (विशेषत: एस्पिरीन आदि के साथ लेने पर) कई रोगियों को लाभ पहुंचा सकते हैं मगर इनसे ऊंघ आती है। इसलिए इन्हें लेने के बाद साइकल या कार चलाना अथवा खतरनाक स्थानों पर काम करना ठीक नहीं।

(4) शल्योपचार के लिए विशेषज्ञों की सलाह जरूरी है। अगर कमर-दर्द गर्भाशय के ट्यूमर के कारण हों, तो रोगी को गर्भरोग-चिकित्सक या शल्य-चिकित्सक के पास जाना चाहिए। अगर रीढ़ की करोरुका के बीच की चक्रिका के तड़कने जैसा गंभीर मामला हो तो रोगी को अस्थि-चिकित्सा और तांत्रिक संबंधी सर्जन के पास जाना चाहिए।

कई प्रकार के कमर-दर्द और पीठ दर्द के मामले, बहुत पेचीदा होते हैं और ऐसे रोगियों को रक्त-विशेषज्ञ, आमाशय विशेषज्ञ और स्तन-रोग विशेषज्ञ से जांच करानी पड़ सकती है।

पीठ व कमर दर्द में सावधानियां

  • कमर दर्द के रोगी को हमेशा सख्त बिस्तर पर ही सोना चाहिए।
  • काम करते समय अपना शरीर बिल्कुल सीधा रखें।
  • पीठ पर हल्के हाथों से मालिश करें।
  • ज्यादा भारी सामान न उठाएं।
  • कमर के लिए रोजाना हल्की-फुल्की कसरत जरूर करें।
  • खाने में कैल्शियम और विटामिन की मात्रा बढ़ा दें।

पीठ व कमर दर्द में घरेलु इलाज

  • कमर दर्द होने पर दशमूल काढ़ा सुबह शाम पानी से पीना चाहिए।
  • कमर दर्द का मूल कारण कब्ज माना गया है, इसलिए कब्ज होने पर अरण्डी तेल रात में 15 एमएम लेना चाहिए।
  • रात में गेहूँ के दाने को पानी में भिगोकर सुबह इन्हें खसखस और धनिये के दाने के साथ दूध में डालकर चटनी बनाकर सप्ताह में दो बार खाने से न सिर्फ कमर दर्द जाता है बल्कि शरीर में ताकत भी बढ़ती है।
  • पीठ दर्द मिटाने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट से हल्के हाथों से मालिश करवानी चाहिए।
  • इससे कशेरुकाएं अपनी सही जगह बैठ जाती हैं और दर्द से निजात मिलने में आसानी होती है।
  • पीठ दर्द से बचने के लिए जरूरी है कि कभी भी झुक कर भार न उठाएं, जब भी कुर्सी पर बैठे या चौकड़ी मारकर बैठे तो आगे की तरफ़ झुककर न बैठें, घंटों तक बैठना हो तो बीच-बीच में मूव करते रहें।
  • आमतौर पर पीठ दर्द आयु से संबंधी रोग है।
  • आयु अधिक होने पर अन्य अस्थियों के साथ कशेरूक भी दुर्बल हो जाते हैं और उनमें कैल्शियम की कमी हो जाती है।
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