परिवार नियोजन का उद्देश्य क्या है | परिवार नियोजन कराने के फायदे और नुकसान

परिवार नियोजन की विधियां अपनाने का उद्देश्य यही है कि गर्भाधान न हो। कुछ तरीके पुरुषों द्वारा प्रयोग में लाये जाते हैं और कुछ स्त्रियों द्वारा। कुछ तरीके जैसे खाई जाने वाली गर्भनिरोधक दवाएं या निरोध ऐसे हैं जिनका बार-बार प्रयोग करना होता है, जबकि अन्य तरीके जैसे पुरुष नसबंदी और महिला नसबंदी ऐसे हैं। जिनका केवल एक ही बार प्रयोग किया जाता है।

1. लूप (I० U० D०-लिप्पीज लूप या कापर टी)।

यह प्लास्टिक का बना होता है, छोटा सा छल्ला होता है। जिसे गर्भाशय में रख दिया जाता है और उससे तब तक गर्भ नहीं ठहरता जब तक कि उसे निकाला न जाये।

इससे होने वाले फायदे

  • बच्चों के जन्म में अन्तर रखने के लिए यह भरोसेमंद तरीका है।
  • इससे सम्भोग में कोई बाधा नहीं होती।
  • स्त्री को लूप लगवाने के लिए किसी अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ता।
  • जब गर्भधारण की इच्छा हो तो लूप को निकलवाया जा सकता है।

इससे होने वाले नुकसान

  • लूप लगवाने के तुरन्त बाद थोड़ा खून बहने या दर्द होने की शिकायत हो सकती है किन्तु इसका इलाज करवाने के बाद शिकायत दूर हो सकती है।
  • लूप लगवाने से पहले महिला को अपने आन्तरिक अंगों की जांच करवानी होती है।

2. खाई जाने वाली गर्भ निरोधक गोलियां

गर्भ रोकने के लिए खायी जाने वाली गोलियां बताई गई अवधि तक हर रोज अवश्य ही खानी पड़ती हैं।

इससे होने वाले फायदे

  • यह एक प्रभावकारी तरीका है।
  • इससे संभोग में कोई बाधा नहीं पड़ती।
  • जब कभी भी संतान की इच्छा हो तो गोलियाँ बंद की जा सकती हैं।

जरुरी बातें:-

  • खाने के लिए गोली देने से पहले डॉक्टर द्वारा महिला की अवश्य जांच की जाये।
  • गोलियाँ खाते समय शुरू-शुरू में उसे कुछ शिकायत हो सकती है जैसे जी मिचलाना, सिर दर्द या अनियमित रूप से रक्तस्राव होना।

नोट: कभी कोई स्त्री इन गोलियों को खाना भूल जाये या इसमें लापरवाही बरते तो उसे गर्भ ठहर सकता है।

3. झागदार टिकिया।

ये ऐसी टिकियां होती हैं जिन्हें गीला कर योनि में संभोग करने से पहले रख दिया जाता है, ताकि गर्भ न ठहर सके।

इससे होने वाले फायदे

  • यह तरीका आसान है।
  • यह संभोग में कोई बाधा नहीं डालता।
  • इसमें किसी प्रकार की डॉक्टरी जांच कराने की जरूरत नहीं।

इससे होने वाले नुकसान

  • यह गर्भरोधक तरीका विश्वसनीय नहीं है।
  • लगभग 15 मिनट का समय ऐसा होता है जिसके दौरान झागदार टिकियों का असर रहता है।
  • यदि टिकियों को ठीक ढंग से सम्भाल कर न रखा जाये तो वे खराब हो जाती हैं और झाग नहीं बनातीं।

4. जैली और क्रम।

स्त्री इसका अकेले या निरोध के साथ इस्तेमाल कर सकती है। जैली के साथ एक विशेष 'एप्लीकेटर' (एक तरह की पिचकारी) मिलती है जिसमें जैली को भर लिया जाता है और उसे (जैली को) योनि में काफी भीतर छोड़ दिया जाता है।

इससे होने वाले फायदे

  • इसका इस्तेमाल करना आसान है।
  • इसमें पहले किसी डॉक्टरी जांच की जरूरत नहीं होती।

इससे होने वाले नुकसान

  • जब इसका अकेले ही इस्तेमाल किया जाये तो यह बहुत विश्वसनीय तरीका नहीं है।
  • जैली का इस्तेमाल करने के बाद थोड़ी जलन या योनि से स्राव हो सकता है।

5. महिला नसबन्दी

1। यह आपरेशन स्त्रियों का होता है। इसमें उसकी वे दोनों नलियां काटकर बांध दी जाती हैं जो उसकी बच्चेदानी तक जाती हैं ऐसा करने से शुक्राणु डिम्बों तक नहीं पहुंच पाते और गर्भ नहीं ठहर पता है।

2। यह ऑपरेशन या तो स्त्री को बच्चा होने के तीन-चार दिन बाद किया जा सकता है या फिर किसी भी अन्य समय जब उसे सुविधा हो।

3। जिन स्त्रियों की नसबन्दी करनी हो वे निम्न शर्ते पूर्ण करती हों:-

  • स्त्री की आयु 20 वर्ष से कम या 44 वर्ष से अधिक न हो या उसे महावारी अभी तक भी आती हो।
  • उस स्त्री के पति की आयु 25 वर्ष से कम या 50 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • ऐसे दम्पति के दो या तीन से अधिक जीवित बच्चे हों।
  • दम्पति और कोई बच्चा न चाहता हो और नसबंदी का पूरा-पूरा मतलब समझता हो।

इससे होने वाले फायदे

एक बार आपरेशन हो जाये तो गर्भ रोकने के लिए फिर कोई और कार्यवाही नहीं करनी पड़ती।

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