नींद न आना या अनिद्रा क्या है | नींद न आने का कारण और घरेलु उपाय

किसी भी व्यक्ति को गहरी नींद का आना किसी वरदान से कम नहीं। यदि किसी कारण रात को नींद टूट जाए तथा दोबारा न आए या किसी कारणवश रात को जागना पड़े तो अगले दिन व्यक्ति के शरीर में ताकत ही नहीं रहती। उसको जम्हाइयां आने लगेंगी और शरीर टूटने लगेगा। कोई भी काम करने को उसका मन नहीं करता, इसलिए शरीर को तंदुरुस्त रखने के लिए गहरी नींद का आना बहुत ज़रूरी है।

नींद न आना या अनिद्रा क्या है | Neend Na Aana ya Anindra Kya Hai

नींद न आना यानी अनिद्रा की बीमारी आजकल की भाग-दौड़ वाली मशीनी युग में प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। व्यक्ति रात भर करवटें बदलता रहता है। यदि निद्रा आती भी है तो कुछ देर बाद आंख खुल जाती है। या तो दोबारा नींद आती ही नहीं, यदि आती भी है तो बहुत देर के बाद और वह भी थोड़ी देर के लिए। इनसोमनिया यानी अनिद्रा कई तरह की होती है कई बार बहुत खुशी में या अचानक आई परेशानी के कारण किसी भी व्यक्ति को नींद नहीं आती। परन्तु यह अनिद्रा दो-तीन दिनों के बाद अपने आप ठीक हो जाती है।

दूसरी अवस्था में अनिद्रा का रोग 10-15 दिन तक भी रह सकता है। यह अवस्था मानसिक परेशानी जैसे कि किसी नज़दीकी संबंधी की मृत्यु, अचानक कारोबार में घाटा पड़ना आदि के कारण व्यक्ति की निद्रा में विघ्न पड़ जाता है और वह अनिद्रा का शिकार हो जाता है। यह अवस्था पहली अवस्था से गंभीर होती है तथा इस अवस्था वाला व्यक्ति लगातार 10-15 दिन तक सो नहीं पाता है।

तीसरी अवस्था के लोगों में नींद न आने की शिकायत बहुत लंबी हो जाती है। ऐसे लोग कई-कई दिनों तक ठीक से सो नहीं पाते। वे कुछ दिन ठीक रहकर दोबारा अनिद्रा का शिकार हो जाते हैं। यह बहुत गंभीर रोग है और व्यक्ति को जबरदस्ती चक्करों में डाल देता है। इससे उसके स्वास्थ्य के अतिरिक्त उसके रोज़ाना के कामकाज पर भी बुरा असर पड़ता है। हमारे देश में लगभग 15 प्रतिशत लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं। इसलिए उचित इलाज ज़रूरी हो जाता है।

नींद न आने का कारण | Neend Na Aane ka Karan

  • सबसे पहला कारण है व्यक्ति को बिना कारण उदासी तथा परेशानी। उदासी यानी डिप्रेशन के कारण तो व्यक्ति की नींद वैसे ही उड़ जाती है।
  • अनिद्रा रोग में व्यक्ति का अपना स्वभाव भी महत्त्वपूर्ण योगदान करता है। कई व्यक्ति बहुत संवेदनशील यानी भावुक स्वभाव के होते हैं। ऐसे व्यक्ति को किसी ने कुछ बुरा-भला कह दिया या उनका कोई काम उनकी उम्मीद के अनुसार नहीं हुआ, तो वे बिना वजह सोचते रहेंगे, कुढ़ते रहेंगे तथा इस प्रकार अपने लिए तनावपूर्ण स्थिति बना लेंगे। इस प्रकार अनावश्यक तनाव के कारण वे निद्रा न आने की बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
  • चाय, कॉफी, चाकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स आदि में विशेष तौर पर कैफीन होती है। कैफीन के बारे में सब जानते हैं कि इसके सेवन से निद्रा आना कम हो जाता है। इस प्रकार इन पदार्थों के ज्यादा सेवन से नींद न आने की शिकायत हो सकती है।
  • शराब पीने से भी नींद न आने की शिकायत हो जाती है। कुछ लोगों का विचार है कि शराब पीने से गहरी नींद आती है। परन्तु उनकी यह धारणा ठीक नहीं। इसमें कोई संदेह नहीं कि शराब पीने के बाद एक बार तो बड़े ज़ोर से नींद आती है। परन्तु जैसे ही मनुष्य शरीर अलकोहल (शराब) को पचा लेता है, उसकी आंख खुल जाती है और फिर जल्दी नहीं आती तथा व्यक्ति इधर-उधर की सोचते हुए करवटें बदलता रहता है।
  • कई लोग यह समझते हैं कि रात को सोने से पहले भरपेट रोटी खाने से जोरदार नींद आती है। परन्तु असल में ऐसा नहीं है। ज्यादा मिर्च-मसाले तथा घी वाली खुराक के सेवन से भोजन अच्छी तरह हज़म नहीं होता। पेट में गैस बनने से अफारा हो जाता है तो ऐसी स्थिति में नींद कैसे आ सकती है? इनके अतिरिक्त बाज़ारी चीजें, विशेषकर चाइनीज़ खानों में एम.एस. जी. (M.S.G.) यानी मोनोसोडियम गलूटामेट (Monosodium glutamate) मिलाया होता है, जिससे पेट में गैस बन जाती है। और इसका नींद पर बुरा असर पड़ता है।
  • कई बार व्यक्ति को कई बीमारियां लगी होती हैं। इनके कारण भी नींद कम आती है। इसके अलावा कुछ रोगों के इलाज के लिए खाई जा रही दवाइयों के कारण भी नींद नहीं आने यानी अनिद्रा की शिकायत हो जाती है।
  • सिगरेटनोशी से भी अनिद्रा की शिकायत हो सकती है क्योंकि तंबाकू में निकोटीन नाम का पदार्थ होता है जो नींद पर बुरा प्रभाव डालता है।

नींद न आने में घरेलु उपाय के नुस्के | Neend Na Aane Me Gharelu Upay

हमारे शरीर में कुदरती तौर पर एक घड़ी चलती रहती है जिसके अनुसार प्रतिदिन एक खास समय हमारी आंख खुल जाती है। इसको बाडी क्लाक (body clock) यानी शरीर की घड़ी कहते हैं। जहां तक हो सके, हमें इस बाडी क्लाक को बदलना नहीं चाहिए। अगर कभी आप देर रात सोए हों तो सुबह एक बार तो आपकी नींद उसी समय खुल जाएगी जिस समय आप रोज़ाना उठते हैं। इसलिए चाहे देर से ही सोए हुए हों, एक बार तो सुबह रोज़ की तरह उठ जाना चाहिए। आप अपनी निद्रा दिन में सोकर भी पूरी कर सकते हैं।

  • जिंदगी जीने के नज़रिए को बदलना चाहिए। अपने शरीर को बेवजह की परेशानियों तथा फिक्रों का घर नहीं बनाना चाहिए। व्यक्ति को थोड़ा धार्मिक प्रवृत्ति का होना चाहिए। ज़रा अपने से कमज़ोर की ओर भी नज़र मारनी चाहिए।
  • रात को सोने से पहले गर्म दूध पीने से और गर्म पानी से नहाने पर शरीर को आराम मिलता है तथा इस प्रकार ठीक तरह से नींद आ जाती है।
  • चाय, कॉफी और कैफीन वाले पदार्थों के सेवन पर अंकुश लगाना चाहिए। सोने से पहले चाय या कॉफी तो भूलकर भी नहीं पीनी चाहिए।
  • सिगरेट, बीड़ी और तंबाकू वाले पदार्थों का सेवन कम-से-कम करना चाहिए।
  • जहां तक हो सके, सोने और जागने का समय नियमित रखें तथा सुबह ज्यादा देर तक नहीं सोना चाहिए।
  • यदि कोई बीमारी न हो तो व्यक्ति कभी बूढ़ा न हो।

    जहां तक संभव हो, दिन में सोने से परहेज़ करना चाहिए।

  • नींद लाने के लिए गोलियों का सेवन करने की बजाय लंबी सैर करनी चाहिए तथा हल्का व्यायाम भी लाभदायक है।

यदि फिर भी नींद न आए तो ऐसे में चारपाई पर करवटें नहीं बदलते रहना चाहिए बल्कि उठकर थोड़ा चलना-फिरना चाहिए तथा जैसा भी आपका शौक हो, उसी के अनुसार पढ़ना, गाने सुनना या इस तरह के कुछ और काम करने चाहिए। इस प्रकार उस समय का कुछ सदुपयोग भी आप कर लेंगे और ऊल-जलूल सोचने से भी बच जाएंगे। नहीं तो लेटकर आप दुनिया भर की व्यर्थ बातें सोचने लग जाएंगे।

नींद की गोलियों से नुकसान | Neend Ki Goliyon Se Nuksan

  • नींद न आने यानी अनिद्रा की शिकायत होने पर लोग आम तौर पर नींद लाने वाली गोलियों का सेवन करना शुरू कर देते हैं जो कि एक अच्छा रुझान नहीं है।
  • इन गोलियों का सेवन करने से वह व्यक्ति हमेशा के लिए इन गोलियों का गुलाम बन जाता है।
  • सच तो यह है कि इन गोलियों के सेवन से व्यक्ति दिन में भी अनिद्रा महसूस करता रहता है और जितनी तेज़ गोली का सेवन करेगा, उतना ही बुरा प्रभाव देखने में आएगा।
  • इसलिए गोलियों का प्रयोग करने के बजाय ज्यादा शारीरिक काम करना चाहिए। लंबी सैर करनी चाहिए।
  • गोलियों का सेवन करने के बजाय साइकिल से लंबी सैर पर निकलाना चाहिये।

नोट:- इसलिए अनिद्रा से पीड़ित लोगों को लंबी सैर, हल्का व्यायाम और सही भोजन का सेवन करके इस रोग पर नियंत्रण पाना चाहिए।

कितनी देर सोना चाहिए | Kitni Der Sona Chahiye

यहां मैं एक बात स्पष्ट कर दें कि गहरी नींद आने का ज्यादा देर तक सोए रहने से कोई संबंध नहीं है। यह तो व्यक्ति के अपने स्वभाव और शारीरिक ढांचे पर निर्भर करता है। यदि किसी को देर रात तक सोने के बावजूद भी अगले दिन बेआरामी महसूस नहीं होती तो यह स्पष्ट है कि आपकी नींद की ज़रूरत पूरी हो रही है। वैसे वैज्ञानिकों का मत है कि बच्चों को नींद की ज्यादा ज़रूरत होती है।

छोटे बच्चों को 15-16 घंटे ज़रूर सोना चाहिए। बड़े बच्चों को 9 से 10 घंटे तथा बड़ों को 6 से 8 घंटे नींद की आवश्यकता होती है। बुजुर्ग व्यक्ति 60 साल से ज्यादा उम्र वाले कम सोते हैं। परन्तु यदि वह रात को ज्यादा नहीं सोते तो दिन में झपकी लगाकर अपनी नींद पूरी कर लेते हैं।

परन्तु फिर भी यह जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति को इतने घंटे सोना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर का अपना-अपना हिसाब-किताब होता है। कुछ व्यक्ति 5-6 घंटे सोकर भी चुस्त-दुरुस्त रहते हैं तथा कुछ की 10 घंटे सोकर भी तसल्ली नहीं होती। परन्तु एक बात तो ज़रूर है कि चाहे कोई जितने घंटे सो जाए, उसको गहरी नींद जरूर आनी चाहिए।

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