महिलाओं में बहुमूत्र रोग का 10 घरेलू इलाज के नुस्के

अधिक मेहनत करने से, चिंता करने से, विष दोष से शरीर के अंदर जलीय धातु में विकार होने पर स्त्रियों के मूत्रमार्ग से अति मात्रा में श्वेत जल का स्राव होता है। इससे रोगिणी में चक्कर, रूखापन, बेचैनी, अतृप्ति आदि उपद्रव भी मिलते हैं। नव्य रोग विज्ञान में बहुमूत्र रोग संभवतः ईस्ट्रोजन की कमी से योनि की दीवारों से झरने वाला स्राव है।

घरेलु इलाज

कच्चे गूलर का चूर्ण या आंवले की गुठली का चूर्ण मधु के साथ खाने से या चक्रमर्द (चकबड़) की जड़ का चूर्ण चावल के धोवन में पीसकर पीने से लाभ होता है। रोगिणी को भोजन में सूखी चीजें दे। अधिक जलपान, मीठे एवं ठंडे पदार्थों का सेवन, दिन में सोना तथा आलस्य से सख्त परहेज कराएं।

1। वृहत सोमनाथ रस - 240 मि.ग्राम, आंवले की गुठली का चूर्ण - 1 ग्राम, -----1X2 मधु के साथ

2। तारकेश्वर - 240 मि.ग्राम, माषादि चूर्ण - 2 ग्राम, ------ 1X2 दोपहर, रात मधु के साथ

3। आरोग्यवर्धिनी - 240 मि.ग्राम, त्रिफला चूर्ण - 2 ग्राम ----- 1 मात्रा रात्रि गरम जल से।

4। गगनादि लौह, प्रदरांतक लौह 240 मि.ग्राम शहद के साथ दें।

5। पुष्यानुग चूर्ण, प्रदरांतक चूर्ण 2 ग्राम शहद के साथ दें।

6। वृहत वंगेश्वर रस 120 मि.ग्राम दो बार दूध के साथ दें।

7। बसंत कुसुमाकर रस 120 मि.ग्राम दो बार दूध से दें।

8। स्वर्ण बंग 125-240 मि.ग्राम शहद के साथ दें।

9। वंग भस्म 120-240 मि.ग्राम शहद के साथ दें।

10। चंद्रप्रभावटी, शिलाजत्वादि वटी 1-2 वटी दूध के साथ दो बार दें।

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