मधुमेह रोग क्या है | मधुमेह रोग से बचने के 8 घरेलु उपाय

शक्कर आने की बीमारी को अंग्रेजी में डायबिटीज कहते हैं। इस रोग में रोगी को प्यास अधिक लगती है और पेशाब बहुत और बार-बार आता है। रोगी जितना पानी पीता है, वह थोड़ी देर के बाद पेशाब के रास्ते निकल जाता हैं। कभी-कभी इस पेशाब के साथ शकर भी आती है। परन्तु जब पेशाब के साथ शकर आती है, उस समय प्यास अधिक लगना अथवा पेशाब अधिक आना आवश्यक नहीं है। यह रोग अधिकतर चालीस वर्ष की उम्र के बाद होता है।

परन्तु कभी-कभी छोटी उम्र वालों में भी पाया जाता है। जो लोग आराम और ऐश का जीवन बिताते हैं और व्यायाम नहीं करते, मीठी और चर्बी वाली चीजें अधिक इस्तेमाल करते हैं, वे इस रोग से अधिक ग्रस्त होते हैं। दु:ख-विषाद, चिन्ता और दुविधा भी इस रोग के कारण। कुछ लोगों में यह पैतृक भी होता है। अर्थात् यदि पिता को हो तो पुत्र को भी यह रोग लग जाता है।

मधुमेह के लक्षण।

1। जब यह रोग शुरू होता है तो रोगी को प्यास बहुत लगती है, और पेशाब अधिक आता है और दुर्बलता दिन-दिन बढ़ती जाती है।

2।

जब रोग बढ़ जाता है तो प्यास के कारण रोगी का मुंह सूखा रहने लगता है।

3। मुंह का स्वाद मीठा रहता है।

4। सांस से विशेष प्रकार से गंध आती है।

5। कुछ रोगियों को भूख का हुका हो जाता है।

6। भोजन करने के थोड़ी देर बाद फिर भूख लग आती है, आम तौर पर कब्ज रहती है।

7। शरीर में दुर्बलता और क्षीणता बढ़ जाती है।

8। सारे पिंडे की खाल सूखी-खुरदरी सी हो जाती है और खुजाने पर उससे भूसी झड़ती है।

9। हाथ-पांव ठंडे रहते हैं। परन्तु हथेलियां और तलवे जला करते हैं।

10। रोगी जिस जगह पेशाब करता है वहां चींटियां इकट्ठी होने लगती हैं।

मधुमेह रोग से बचने के उपाय

1। इस बीमारी से बचने के लिए मीठी चीजें नहीं खानी चाहिए।

2। चर्बी वाली वस्तुओं का अधिक प्रयोग भी उचित नहीं है।

3। यदि ऐसी वस्तुएं खाई जाये तो उनके साथ हरी तरकारियां और साग-पात अवश्य खायें।

4। व्यायाम अवश्य करें।,

5। कब्ज न होने दें।

6। जहां तक संभव हो चिन्ता, विषाद और दुविधा से दूर रहते हुए हंसी-खुशी जीवन बिताने का प्रयत्न करें।

7। रोगी को हर प्रकार की मीठी और चर्बी वाली वस्तुओं से परहेज कराया जाये।

8। गुड़, शकर, खांड, बूरा, चीनी, और इनसे बनने वाली मिठाइयां, गन्ना, शहद, और तमाम मीठे फल शकर के रोगी को नहीं खाने चाहिए।

मधुमेह में घरेलु उपचार

  • इस रोग में दवाइयों से अधिक आहारों में सावधानी की आवश्यकता है।
  • चर्बी वाली चीजों से पूरा परहेज असम्भव है, इसलिए जितना भी कम प्रयोग किया जाये, उचित है।
  • चावल और हर प्रकार की दालें इस रोग में हानि पहुंचाती हैं।
  • भूसीदार बिना छने आटे की रोटी, लौकी, टिंडे, तुरई, चचिन्हा, परवल, ककड़ी को तरकारी या पालक, खूफी बथुआ, चौलाई, सरसों, मेथी आदि सागों के साथ खायें।
  • जो व्यक्ति मांस खाता है, वह इन तरकारियों और सागों को बकरे के गोश्त के साथ पकवा सकता है।
  • मांस, अंडा, दही, पनीर, मक्खन, घी यह सब इस रोग में लाभदायक हैं।
  • छाछ खूब पियें यह प्यास को बुझाती है और शरीर को भोजन तत्व भी देती है।
  • दूध का प्रयोग अधिक न करें और इसमें, गुड़, शकर, या चीनी, बिल्कुल न मिलायें
  • आलू, शकरकन्द शलजम, तमाम खट्टे, मीठे फल जैसे सेव, आलू, लौकाट, अनन्नास, अनार कमरख खा सकते हैं।
  • परन्तु आम, अंगूर, अंजीर, खजूर, अमरूद, खरबूजा, छुहारा, आदि मीठे फल नहीं खाने चाहिए।
  • गिरियों में से गिरी बादाम, चिलगोजा, पिस्ता, काजू, खोपरा, आदि खाने में हर्ज नहीं हैं।

You can share this post!

विशेषज्ञ से सवाल पूछें

पूछें गए सवाल