मदार या आक के फायदे - आक के पत्तों के फायदे | Aak, Madar Ke Fayde

मदार को संस्कृत में 'अर्क', 'तूलफल', 'क्षीरपर्ण', 'आस्फोट', 'अलर्क', 'मन्दार' आदि नामों से पुकारते हैं। मदार के वृक्ष की दो प्रजातियाँ हैं-सफेद और लाल। ये वृक्ष 2-3 हाथ से 6-7 हाथ तक ऊँचे होते हैं। ऊँची और शुष्क भूमि पर यह अधिक मात्रा में पाया जाता है, लोग ऐसा समझते हैं कि मदार का पौधा विषैला होता है। आयुर्वेद में इसे उपविष युक्त पौधा माना जाता है। अधिक मात्रा में इसका प्रयोग निश्चय ही घातक हो सकता है, पर यदि उचित और योग्य चिकित्सक की देखरेख में इसका उपयोग किया जाए तो यह अत्यंत ही उपकारी पौधा है। सफेद रंग के मदार के पौधे पर सफेद रंग के कुछ-कुछ पीलापन लिए फूल खिलते हैं। यह प्रायः मंदिरों में लगाया जाता है। इसकी टहनी तोड़ने पर दूध निकलता है, जो चिपचिपा होता है।

लाल मदार में कटोरी नुमा सफेद रंग के फूल भीतर से लाल होते हैं, उनमें बैंगनी रंग की आभा होती है और इसमें दूध कम निकलता है।

इनके अतिरिक्त चार पत्ते और एक टहनी वाला दुर्लभ मदार भी होता है। इसके फूल चाँदी के रंग जैसे सफेद होते हैं। एक अन्य जाति का मदार भी पाया जाता है, जिसमें पिस्तई रंग के हरे फूल लगते हैं।

मदार की टहनियाँ बहुत कोमल और रोएँदार होती हैं। इस पर तोते की चोंच के मदारार के फल लगते हैं, जिनमें गूदे के स्थान पर छोटे-छोटे भूरे रंग के बीज भरे होते हैं और उन पर रूई के मुलायम व चिकने रेशे-से चिपटे रहते हैं। फटने पर हवा में उड़कर सर्वत्र फैल जाते हैं।

मदार के रोगोपचार में फायदे

मदार के पौधे में दूध जैसा चरपरा रस पाया जाता है, यह इस पौधे का सर्वाधिक प्रभावशाली और उपयोगी अंश है। नये मदार की जगह पुराने मदार की जड़ अधिक वीर्यवान होती है। दोनों प्रकार के मदार दस्तावर, वायु विकार, चर्मरोग, बवासीर, कफ, पेट के रोग, वीर्यवृद्धि, पाचक, खाँसी आदि रोगों में काम आते हैं। इसके दूध का स्वाद कड़वा, गर्म, चिकना, हल्का, खारा और चिपचिपा होता है। इसे तंत्र प्रयोग में भी इस्तेमाल करते हैं।

1. पेट के रोग में मदार के फायदे

मदार के पुष्पों से बनी 'अर्कपुष्पवटी' बाजार में आसानी से मिल जाती है। जब कभी पेट दर्द की शिकायत हो तो चिकित्सक के बताए अनुसार इसका प्रयोग करें। मदार की जड़ की छाल 20 ग्राम, अदरख का रस 20 ग्राम में अच्छी प्रकार से खरल कर लें या सिल पर पीस लें और उसकी छोटी-छोटी काली मिर्च के बराबर की गोलियाँ बातकर छाया में सुखा लें। 'उल्टियाँ' या 'जी मिचलाने पर एक-दो गोली शहद के साथ लेने से रोगी को आराम मिलता है। पेट दर्द, 'मरोड़', 'दस्त' आदि होने पर जल के साथ खिलाएँ।

2. बदहजमी या अपच में आक के फायदे

मदार के पत्तों को रात्रि में पानी में भिगो दें। सुबह उस जल को छान लें। फिर उस जल में उतना ही घृतकारी का गूदा व उतनी ही मिश्री या चीनी या बिना मसाले की शक्कर मिला कर पकावें। जब उसकी चाश्नी बन जाए, तब उसे बोतल में भरकर रख लें। जब कभी 'बदहजमी' या 'अपच' की शिकायत हो, तब आधा या एक छोटा चम्मच उसका सेवन करें। छोटे बच्चों के लिए यह अचूक दवा है। 6 से 9 साल के बच्चों के लिए विशेष रूप से।

3. हैजा में मदार के फायदे

मदार के पीले पत्ते, जो पौधे से झाड़कर नीचे गिर जाते हैं, उनमें से 5-6 पत्ते लेकर जला लें। जब ये जलकर भस्म बन जाएँ, तब इन्हें कलईदार बर्तन में डालकर, आधा लीटर पानी डाल दो। इस पानी में छानकर हैजे वाले रोगी को थोड़ा-थोड़ा करके पिलाओ। हैजा खत्म हो जाएगा।

मदार की जड़ की छाल 10 ग्राम, काली मिर्च 5 ग्राम, दोनों को कूटकर चर्ण बना लो और कपड़छन कर लो। फिर उसे अदरख के रस में या प्याज के रस में घोटकर चने के बराबर की गोलियाँ बना लो। हैजा होने पर रोगी को एक-एक गोली, दो-दो घंटे के बाद ताजे जल से दो। हैजा ठीक हो जाएगा।

4. वायु विकार में आक के फायदे

मदार की जड़ की छाल 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम, कुटकी 10 ग्राम और काला नमक 10 ग्राम, इन सभी को जल में पीस लें और चने के बराबर की गोलियाँ बना लें। दिन में सुबह शाम एक-एक गोली गर्म पानी से सेवर करें। वायु विकार में बड़ा आराम मिलता है। पेट का 'अफारा' दूर हो जाता है।

5. पेट दर्द में मदार के फायदे

मदार की जड़ की छाल का महीन चूर्ण 10 ग्राम, त्रिफला चूर्ण (हैड, बहेडा, आँवला) 10 ग्राम, सेंधा नमक 10 ग्राम, सौंफ का महीन चूर्ण 10 ग्राम, सभी को मिलाकर शीशी में भरकर घर में रखें। जब कभी पेट-दर्द की शिकायत हो तब आधा चम्मच चूर्ण जल के साथ दो-तीन बार सेवन करें।

6. चर्म रोग में मदार के फायदे

दाद' के स्थान पर मदार का दूध लगाना चाहिए। मदार का दूध चर्म रोगों के लिए विशेष हितकारी होता है। नासूर' का मुँह यदि बंद हो तो उस पर मदार के दूध का लेप करने से उसका मुँह खुल जाता है और पीब बाहर निकल जाता है। मदार की जड़ का 2 ग्राम चूर्ण लेकर दही में पीसकर दाद पर लगाने से दाद जल्दी ठीक हो जाता है।

7. भगन्दर में आक के फायदे

मदार का दूध 2 ग्राम, दारुलहल्दी 2ग्राम और थूहर का दूध 2 ग्राम लेकर तीनों को मिला लें और उसको रूई की बत्ती में अच्छी तरह लपेटकर भगंदर के घाव में रखे। इससे भगन्दर की सूजन, दर्द और पीव आना बंद हो जाता है।

8. घाव में मदार के फायदे

मदार की रूई को घाव पर रखकर बाँध देना चाहिए। इससे जख्म जल्दी भरता है और रक्तस्राव रुक जाता है। रूई को प्रतिदिन बदलते रहना चाहिए। घाव जल्दी भरता है। मदार के सूखे पत्तों का चूर्ण, महीन, करके घाव पर बुरकने से भी घाव जल्दी भर जाता है।

9. गठिया बाय में मदार के फायदे

मदार के 4-5 फूल, सौंठ 5 ग्राम, काली मिर्च 3-4 ग्राम, हल्दी 5 ग्राम, नागर मोथा 5 ग्राम लेकर उन्हें जल में पीस लें और चने के बराबर की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। सुबह-शाम 2-2 गोली जल के साथ लेने पर गठिया बाय के दर्द में और मल के साथ आँव आने में बड़ा लाभ होता है।

10. जलोदर में मदार के फायदे

इस की शिकायत होने पर मदार के पत्तों के 1 लीटर रस में 20 ग्राम हल्दी का चूर्ण मिलाकर उसे मंदी आँच पर पकाएँ। जब घोल गाढ़ा हो जाए तब उसे उतारकर ठंडा कर लें और चने के बराबर की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। सुबह-शाम 2-2 गोली सौंफ के रस के साथ पिलाएँ। पानी मांगने पर रोगी को यही जल दें। इससे रोगी को जल्द आराम आएगा।

मदार के 10-20 पत्तों को सेंधा नमक के साथ कूटकर मिट्टी के किसी बर्तन में बंद करके जला लें। जली भस्म को बारीक पीस कर कपड़छन कर लें। उस भस्म को चुटकी भर लेकर सुबह शाम छाद के साथ रोगी को पिलाएँ' जलोदर' में बड़ा आराम मिलता है और कुछ दिनों के प्रयोग से यह बीमारी चली जाती है।

11. खूनी दस्त में आक के फायदे

मदार की जड़ की छाल को कूट-पीसकर, छाया में सुखा लें। और उसे अच्छी तरह खरल करके कपड़छन कर लें। इस भस्म की चुटकी ठंडे जल से रोगी को सुबह-शाम दें। खूनी दस्त जल्द ठीक हो जाते हैं।

12. दाद, खाज व खुजली में मदार के फायदे

मदार का फूल तोड़ने जो दूध निकलता है, उसमें नारियल का तेल मिलाकर लगाने से खाज-खुजली और छाजन आदि में बड़ा आराम मिलता है। मदार का दूध 10 ग्राम, सरसों का तेल 5 ग्राम, दोनों को अच्छी तरह पका लें। जब दूध जल जाए और तेल बाकी रह जाए तब उसे शीशी में भरकर रख लें और दिन में 2-3 बार उसकी मालिश खाज वाली जगह पर करें। खुजली जल्दी ठीक हो जाएगी और फटी खाल मुलायम पड़ जाएगी। मदार के पत्तों को सरसों के तेल में पकाएँ। एक पाव सरसों के तेल में कम से कम 15-20 पत्ते डालें। उसमें 50 ग्राम हल्दी का चूर्ण भी डाल दें। जब तेल आधा रह जाए तो उसे शीशी में भरकर रख लें। इस तेल की मालिश से सभी प्रकार के चर्म रोगों में आराम आता है।

13. कुष्ठ रोग में मदार के फायदे

मदार की 250 ग्राम जड़ को 1 लीटर पानी में पकाकर उसका काढा बना लें। जब जल का आठवाँ हिस्सा रह जाए, तब उस जल को कुष्ठ रोगी को थोड़ा-थोड़ा सेवन कराएँ। कुष्ठ रोग के साथ-साथ शरीर के अन्य बेडौल अंग भी ठीक हो जाते हैं।

14. सफेद दाग में मदार के फायदे

मदार के 1 ग्राम दूध में 5 ग्राम बावची और आधा ग्राम हरताल के चूरे को पीसकर सफेद दागों पर अच्छी तरह लेप करें। कुछ ही दिनों के नियमित प्रयोग से सफेद दाग ठीक होने लगते हैं।

15. आग से जल जाने पर आक के फायदे

मदार की 5 ग्राम जलाई हुई रूई को 15 ग्राम तिल्ली के तेल में खरल करना चाहिए। फिर उसे चूने के निथरे हुए 15 ग्राम पानी में मिला दें। इस रसायन में कपड़ा तर करके जले हुए स्थान पर रखें। इसे जलन शांत हो जाती है। मदार की जली हुई रूई की भस्म जले हुए स्थान पर बुरकने से भी जली हुई जगह की दाह कम हो जाती है।

16. मुँहासे और झाँई में मदार के फायदे

मदार के दूध की 10 बूंदों में हल्दी का 3 ग्राम चूर्ण गुलाब जल में घोट लें। फिर उसे आँखें बचाकर मुँहासे और झाँई वाली जगह पर ही लगाना चाहिए। जल्द आराम मिलेगा।

17. नेत्र रोग में मदार के फायदे

नेत्र रोग में मदार की जड़ की छाल दो ग्राम लेकर उसे अच्छी तरह कूटकर कपड्छन कर लें और उसे 25 ग्राम गुलाब जल में डालकर रख दें। कुछ देर बाद उसे बारीक कपड़े से छानकर शीशी में भरकर रख लें। इसके 1-2 बूंदें आँखों में डालने से आँखों की लाली, रोहे, भारीपन, दर्द, खुजली, कीच आदि दूर हो जाती है। और नेत्रों की ज्योति तेज होने लगती है।

मदार की जड़ की छाल को जलाकर कोयला कर लें। फिर उसे थोड़े-से पानी में घिसकर आँखों में अंजन की तरह से लगाएँ। पलकों पर धीरे-धीरे मलें और नेत्रों के चारों ओर लगा दें। इससे 'आँखों की लाली' और पलकों की सूजन दूर होती है।

नोट- आँखों में मदार का दूध कदापि नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि यह विषैला होता है। इससे आँखों की ज्योति जा सकती है।

(और पढ़े - आंखों की रक्षा कैसे करें)

18. मोतियाबिंद में आक के फायदे

मदार के 10 ग्राम दूध में पुरानी ईंट का बारीक महीन चूर्ण 10 ग्राम तर कर लें और उसे सुखा दें। फिर उसमें 5-6 नग लौंग मिलाकर खरल कर लें। उस भस्म में से चावल भर भस्म लेकर नाक के नथुनों में सुघाएँ। इस प्रकार नस्य (नस्वार) लेने पर मोतिया बिंद में शीघ्र लाभ होता है। यह प्रयोग 'सर्दी-जुकाम' में भी लाभदायक होता है। मदार के दूध में पुरानी रूई को अच्छी तरह तर करके सुखा लें। फिर उसे गाय के घी में तर करें और बड़ी-सी बत्ती बनाकर जला लें। बत्ती जलकर सफेद नहीं पड़नी चाहिए। इस तेल बत्ती पर सलाई रगड़कर आँखों में लगाने से शीघ्र लाभ होता है।

19. कान के रोग में मदार के फायदे

मदार के पत्तों पर सरसों का तेल चुपड़कर उस पर सेंधा नमक थोड़ा-सा बुरक दें। फिर उसे लोहे की गर्म कलछी पर बून्द बून्द कर के टपकाएँ। जब वह तेल सहने योग्य ठण्डा हो जाए, तब बूंद-बूंद करके उसे कान में टपकाएँ। इससे कान के सारे रोग दूर हो जाते हैं। कान से पीब बहना, कान में झनझन होना, कम सुनाई देना, कान का दर्द आदि रोग ठीक हो जाते हैं।

मदार के पीले पड़े पत्तों पर थोड़ा सा देसी घी चुपड़कर आग पर रख दें। जब वे झुलसने लगे, तब उन्हें झटपट उतारकर किसी बर्तन में निचोड़ लें। इस घी को हल्के गर्म रहने पर ही कान में टपकाने से कान का दर्द दूर हो जाता है।

20. सिर दर्द या आधाशीशी के दर्द में मदार के फायदे

जंगले कण्डों की 20 ग्राम राख को मदार के दूध से तर कर लें और उसे छाया में सुखा दें। इस राख में से चुटकी भरकर नस्वार लेने से छीकें आएँगी। जिससे सिर दर्द, आधाशीशी का दर्द, जुकाम आदि रोग कुछ ही समय में गायब हो जाएँगे।

नोट- गर्भवती स्त्रियाँ इस नुस्खे को कदापि प्रयोग न करें।

21. श्वाँस और खाँसी आदि के रोग में मदार के फायदे

मदार के ताजे पत्तों पर जो भूरे रंग का क्षार-सा लगा रहता है उसे किसी कागज पर एकत्र कर लें और उसमें से 5-6 ग्राम क्षार में जारा-सा गुड़ मिलाकर उसकी गोली बना लें। सुबह शाम एक-एक गोली जल से सेवन करें। कुछ ही समय में श्वाँस की कठिनाई, कफ और खाँसी आदि में आराम मिलेगा। गोलियाँ बाजरे के दाने के बराबर बनानी चाहिए और ऊपर से पान का पत्ता बिना चूना और कत्थे के चबाना चाहिए।

पुराने मदार की जड़ को सुखाकर जला लें और पीसकर कपड़छन कर लें। इसमें से 1-2 ग्राम भस्म शहद के साथ या पान में रखकर खाएँ या चूसें। श्वाँस का आवगमन खुलकर होगा ओर गले की खराश, खाँसी आदि में आराम मिलेगा।

मदार के एक पत्ते पर गीला कत्था, चूना पान की तरह से लगाएँ और फिर एक दूसरे पत्ते पर गाय का घी चुपड दें। दोनों पत्तों को परस्पर चिपका कर एक मिट्टी के बर्तन में जला लें। उस राख को बारीक भस्म बनाकर किसी शीशी में भरकर रख लें। उसे जरा-से देशी घी से चुपड़ी गेहूँ की रोटी या चावल में डालकर खाने से कष्टप्रद श्वाँस की कठिनाई में बड़ा आराम मिलता है। कफ दूर हो जाता है। खाँसी भी गायब हो जाती है।

22. बवासीर में मदार के फायदे

मदार के पत्तों पर पाँचों नमक लगाकर तेल या खटाई लगा दें। फिर पत्तों को हंडिया में डालकर जला दें। जले हुए पत्तों को बारीक पीसकर जो भस्म तैयार हो, उसमें से छोटे दो चम्मच नित्य शहद या गर्म पानी के साथ सेवन करें। 15 दिन में ही बादी बवासीर दूर हो जाएगी।

100 ग्राम हल्दी को मदार के दूध में सात बार भिगोकर सुखा लें। फिर मदार के दूध को मिलाकर उसकी लम्बी बत्तीनुमा गोलियाँ बना लें और सुखा लें। सुबह के समय या साँझ के समय शौच के बाद थूक में या जल में बत्ती को घिसकर मस्सों पर लेप करें। मस्से कुछ ही दिनों में सूखकर गिर जाएँगे।

मदार के दूध की तीन बूंदों को राई पर डालकर सुखा लें। फिर उस पर पिसा हुआ जवाखार बुरक लें और बताशे में रखकर उस राई को निगल जाएँ। बवासीर बहुत जल्द ठीक हो जाती है।

23. आतशक में मदार के फायदे

कभी-कभी गलत संगति और गलत स्त्रियों के साथ संभोग के कारण आतशक रोग हो जाता है। लिंग या योनि पर दाने निकल आते हैं और पककर फूट जाते हैं। फिर उनमें जख्म बन जाते हैं। इससे रोगी को बड़ी पीड़ा होती है और रोगी अपनी मौत माँगने लगता है।

मदार के 8-10 पत्तों को आधा लीटर पानी में पकाएँ। जब पानी चौथाई रह जाए, तब उस काढ़े से इन्द्रिय पर बने जख्मों को धोएँ। इसके अलावा मदार की छाल को पीसकर जख्मों पर लेप करना चाहिए। दो-तीन ग्राम छाल के चूर्ण का पानी के साथ सेवन भी करें। इससे आतशक (उपदंश) बहुत जल्द ठीक हो जाती है।

सफेद मदार की जड़ का 4 ग्राम चूर्ण, दो चम्मच शहद के साथ लेने से उपदंश और कोढ में बहुत लाभ होता है।

लाल मदार की जड़ की छाल 2 ग्राम, सत्यानासी की जड़ की छाल 2 ग्राम, अपामार्ग जड़ की छाल 2ग्राम लेकर इनका चूर्ण बना लें और इसे धूम्रपान विधि से पीने पर उपदंश में आराम मिलता है।

नोट:- किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में शोधित संखिया (विष ) की सीमित मात्रा लेने पर भी उपदंश में लाभ होता है। इसे अपने आप कभी भी न लें। अन्यथा जान जोखिम में पड़ सकती है।

24. यौन शक्ति में वृद्धि में आक के फायदे

छुआरे की गुठली निकालकर उस पर आक का दूध मल दें। फिर उस पर गीला आटा लपेटकर गुठली को उपले की आँच में पकाएँ। जब ऊपर का आटा जल जाए, तब उस गुठली को पीसकर छोटी-छोटी गोलियाँ बना लें। रात्रि के समय दूध के साथ 1 गोली का सेवन करें। इससे स्तम्भन शक्ति बढ़ती है।

मदार के जड़ को कूटकर चूर्ण बना लें। फिर 25 ग्राम चूर्ण को आधा लीटर दूध में डालकर औटाएँ और दही जमा दें। दही जम जाने पर उसे बिलोकर मक्खन निकाल लें। इस मक्खन के एक माह तक सेवन करने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवानी महसूस करने लगता है और उसकी यौन-शक्ति बढ़ जाती है।

25. लकवा, वात रोग, दर्द आदि में मदार के फायदे

मदार की 500 ग्राम जड़ को छेतकर 4 लीटर पानी में पकाएँ। जब चौथाई पानी शेष रह जाए, तब उसे उतारकर छान लें। फिर उसमें समभाग मिश्री मिलाएँ और 10-10 ग्राम पीपल (छोटी), वंश लोचन, इलायची (बड़ी), काली मिर्च और मुलैठी का चूर्ण मिला दें और फिर इस घोल को मंदी आंच पर पकाकर शर्बत तैयार कर लें। रोज सुबह-सुबह शाम आधा-आधा चम्मच पीने से लकवा, श्वाँस, कफ, वाय विकार, वात रोग, हाथ पैरों का दर्द और पेट के दर्द ठीक हो जाते है | 

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