माँ का दूध बच्चे की भूख मिटाता है, उसके शरीर की पानी की आवश्यकता को पूरी करता है, हर प्रकार के बीमारी से बचाता है, और वो सारे पोषक तत्त्व प्रदान करता है जो बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए और अच्छे शारारिक विकास के लिए जरुरी है।
1। अस्वाभाविक क्रिया-
कई बार मां के स्तनों से पहले तीन-चार दिन कम मात्रा में दूध उतरता है। फिर ठीक उतरने लगता है। ऐसा हो तो कोई चिंता की बात नहीं। यदि दूध बाद में भी कम उतरे, तो जरूर कोई कमी है। यह क्रिया अस्वाभाविक है, इसलिए इसका कारण जानना जरूरी है। मां की शारीरिक अवस्था, उसका स्वास्थ्य, उसका खान-पान, परिश्रम करने की मात्रा तथा मानसिक दशा जरूर समझें। उसमें कहीं-न-कहीं कुछ कमी हो सकती है।
2।
परिश्रम के कारण
जो मां परिश्रम के कारण थकी-थकी रहती है, उसको दूध कम आएगा। जिसे कोई-न-कोई चिंता घेरे रहती है, उसके वक्ष में दूध कम बनता है। जो माताएं ठोस भोजन करती हैं तथा तरल पदार्थों की मात्रा बहुत कम लेती हैं, उनके भी दूध कम ही बनता है। अतः इसका कारण जरूर जानें और इसका निवारण भी करें। यदि फिर भी दूध कम उतरता है, तो बच्चे को ऊपर का दूध साथ-साथ, देने लगें, ताकि आपका शिशु भूखा न रहे।
आपके स्तनों में किसी भी कारण से दूध नहीं उतर रहा, इसकी सजा बच्चे को नहीं मिलनी चाहिए।
3। कामकाजी औरतें:
जिन माताओं को घर से बाहर नौकरी पर, काम पर जाना पड़ता है या नियमित कुछ घंटे बच्चे से दूर रहना पड़ता है, उनके बच्चों को ऊपर का दूध, गाय का या डिब्बे का दूध तो देना ही पड़ता है। इसके सिवाय कोई चारा नहीं।
4। दूध पिलाने का अंतराल घटाने पर:
दूध कम बनने का एक कारण यह भी है कि स्तन पूरी तरह खाली नहीं होते। जब बच्चा दूध कम पीता है, तो दूध बनेगा भी कम। स्तन खाली होंगे, तभी प्रकृति उनमें दूध बना सकेगी। ऐसे में बच्चे को हर दो घंटे बाद दूध पिलाएं। जितना बना, वह उसने पी लिया। फिर और बन जाएगा। यह भी एक विधि है दूध के अधिक उत्पादन की। धीरे-धीरे बच्चा तीन-चार घंटों के अंतर पर भी आ जाएगा और बहुत संभव है कि मां के दूध के उत्पादन में भी वृद्धि हो जाए।
5। इंजेक्शनों का प्रभाव से:
कुछ माताएं दूध कम बनने के कारण इतनी चिंतित हो जाती हैं कि उनका ध्यान समाचारपत्रों, पत्रिकाओं में छपे विज्ञापनों की ओर चला जाता है, जिनमें दूध बढ़ाने की औषधियों का जिक्र होता है। आप इन प्रपंचों में मत पड़े। इनसे अकसर लाभ नहीं होता, बल्कि कभी-कभी हानि भी हो सकती है। पीयूष ग्रंथि के हारमोंस के इंजेक्शन इस दिशा में लाभदायक जरूर रहे हैं, मगर यह कोई गारंटी वाली बात नहीं।
1। मक्खन मिश्री के साथ चने खाने से माँ के स्तनों में दूध बढ़ता है।
2। तनाव ज्यादा हो तो माँ के शरीर में दूध बनाने वाले हार्मोन में रुकावट आने लगती है जिससे दूध कम बनता है इसलिए माँ को तनाव मुक्त रहना चाहिए।
3। बच्चे को स्तनपान करते वक़्त माँ को अपने स्तन आराम आराम से दबाने चाहिए। ऐसा करने पर स्तन पूरी तरह खाली हो जाते है और ज्यादा दूध बनता है।
4। एक चुटकी दालचीनी पाउडर एक चम्मच शहद में मिलाये और गुनगुने पानी के साथ इसका सेवन करे। इस उपाय से दूध का स्वाद अच्छा होता है और दूध पीते वक़्त बच्चे को महक नहीं आती है।
5। अतः खान-पान सुधारें। तरल पदार्थ खूब लें। चिंता से दूर रहें। परिश्रम सीमित मात्रा में करें। सदा प्रसन्न रहने तथा बच्चे के साथ हंसने, बातें करने, खुश होने की कोशिश करें। इससे आपका बच्चे में लगाव बढ़ेगा। ममत्व जागेगा। हो सकता है इन कारणों से दूध में वृद्धि हो जाए। न भी हो तो भी दवाओं के चक्कर में न पड़े। ऊपर का दूध देकर बच्चे के विकास को बनाए रखें।
मां अपने स्तन साफ रखे। इन पर पसीना, मैल न होने दे। हर बार यदि दूध पिलाने से पूर्व गर्म पानी से स्तन मुख को धो लें, तो बहुत अच्छा है। आपके बच्चे के स्वस्थ रहने के लिए यह प्रक्रिया जरूरी है। कुछ सेकंड में आप स्तन साफ कर सकती हैं। ऐसा करने से बच्चे के मुंह मार्ग से कोई रोगाणु उसके अंदर प्रवेश नहीं करेगा। वह स्वस्थ रहेगा ही। दूध पिलाने के बाद भी, पास में रखे इस पानी से मां अपने स्तन मुख को धो ले।
कई बार ऐसा होता है कि स्तन मुख पर दूध की बूंदें रह जाती हैं। घंटों बाद आपको फिर से दूध पिलाना है, यह दूध सूखकर जम जाता है। अगली बार भूल से आपने स्तन साफ नहीं किए या साफ करने पर भी घंटों पहले जमा हुआ दूध बच्चे के अंदर चला जाता है। यह दूध बच्चे की आंत में रोग उत्पन कर सकता है या फिर कई बार स्तन मुख पर जमा हुआ दूध निकालने में रुकावट भी पैदा कर सकता है।
अतः दूध पिलाने से पूर्व तथा दूध पिलाने के बाद स्तन मुख ठीक से साफ करें। इन्हें धोने के बाद किसी मैले, गंदे कपड़े से मत पोंछे।
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