कुपित वायु जब शरीर के बाएं या दाएं भाग को प्रभावित करके आधे अंग की वात नाड़ियों व स्नायुओं को सुखाकर, सारे जोड़ों के बंधनों को ढीला करके शरीर की क्रिया व चेतनता को नष्ट कर देती है तब उस अवस्था को पक्षाघात, अर्धांगघात या लकवा कहते हैं।
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जब यही कुपित वायु शरीर के एक अंग को क्रियाहीन बना देती है तब इसे एकांग घात कहते हैं।
जब यही कुपित वायु सारे शरीर की क्रियाशीलता को नष्ट कर देती है तब उसे सर्वांग रोग या सर्वांगघात कहते हैं।
जब यही कुपित वायु शरीर के नीचे के भाग पेडू व उसके नीचे के भाग को प्रभावित कर उसको क्रियाहीन बना देती है तब उसे अधरांगघात कहते हैं।
1। एकांगवीर रस 120 मि.ग्राम दिन में तीन बार शहद के साथ दें।
2। नवजीवन रस 120 मि.ग्राम दिन में तीन बार शहद के साथ दें।
3। महायोगराज गुगुल 1-2 वटी दिन में तीन बाद दूध से दें।
4। स्वर्ण महायोगराज गुगुल 1 गोली दिन में दो बार दूध के साथ दें।
5। वात कुलातंक रस 120 मि.ग्राम दिन दो बार मधु के साथ दें।
6। रसराज रस 120 मि.ग्राम दिन दो बार शहद में दें।
7। वृहत वात चिंतामणि रस 120 ग्राम दिन में दो बार शहद से दें।
8। मकरध्वज 120 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद से दें।
9। मल्लचंद्रोदय 120 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद से दें।
10। त्रैलोक्य चिंतामणि रस 125 ग्राम दिन में दो बार शहद से दें।
11। योगेंद्र रस 120 ग्राम दिन में दो बार दें।
12। महाबला क्वाथ, महारास्नादि क्वाथ, दशमूल क्वाथ, रास्नासप्तक क्वाथ 50 मि.लि। दिन में दो बार दें।
13। महानारायण तेल 10 मि.लि। दूध में मिलाकर पिलाएं तथा मालिश करें।
14। कुपीलु तेल, मल्ल तेल, महाममाष तेल, प्रसारिणी तेल की मालिश सारे शरीर पर करें।
15। दशमूलारिष्ट, अश्वगंधारिष्ट, बलारिष्ट खाने के बाद दें।
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