प्रकुपित वात मांसपेशियों में कंपन पैदा करता है, जिससे हाथ या सिर में लगातार कपन होता रहता है या सारे शरीर में एक कंपन होता रहता है। इस दशा को कंपवात कहते हैं। कुपित व्यान वायु द्वारा नाड़ीमंडल की स्थिरता नष्ट होने से यह रोग पैदा होता है।
1। सर्पगंधा घनवटी 2 गोली दिन में दो बार जल से प्रयोग करें।
2। वातगजांकुश रस 1-2 गोली मधु के साथ दो बार।
3। महायोगराज गुग्गुल 2 गोली दो बार दूध के साथ प्रयोग करें।
4। द्विगुणाव्य रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार गोघृत व मिश्री के साथ दें।
5। नारसिंह चूर्ण 4 ग्राम दिन में दो बार घी व दूध के साथ दें।
6। सर्वांगकंपारि रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार शहद के साथ दें।
7। वृहत वातचिंतामणि रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।
8। अश्वगंधारिष्ट 30 मि.लि। जल के साथ दिन में दो बार दें।
9। दशमूलारिष्ट 30 मि.लि। जल के साथ दिन में दो बार दें।
10। वातकुलांतक रस 120 मि.ग्राम दिन में दो बार दें।
11। महानारायण तेल, महामाष तेल, पंचगुण तेल की मालिश करें।
पूछें गए सवाल