गोखरू के फायदे एवं गोखरू के पौधों से होने वाले लाभ | gokharu ke fayde

संस्कृत में गोखरू को ‘गोक्षुर', 'क्षुरक', 'चणद्रुम', 'स्वादु कंटक' आदि कहते हैं। गोखरू के पौधे सारे भारत में पाए जाते हैं। गर्म प्रदेशों में, विशेषकर वर्षा ऋतु में इसके पौधे बेल की तरह धरती पर फैल जाते हैं। गोखरू छोटा-बड़ा दो प्रकार का होता है। इसकी शाखाएँ 3-4 फुट तक धरती के समतल चारों ओर फैली रहती है। उसके पत्ते चनों के पत्तों से कुछ बड़े होते हैं, पर आकार में उसी की तरह होते हैं।

इसकी शाखाएँ बैंगनी रंग की होती हैं, जिन पर सफेद भूरे रंग के रोएँ होते हैं। फूल पीले रंग के होते हैं और काँटों से युक्त फल छोटे चक्राकर चने की तरह होते हैं। इसकी जड़ मुलायम और रेशेदार होती है। सूखने पर इसके फल धरती पर गिर जाते हैं। और पैदल चलने वालों के तलवों में चुभ जाते हैं तथा जलन पैदा करते हैं। ये गोखरू के 'बीज' कहे जाते हैं।

गोखरू के रोगोपचार में फायदे

गोखरू की तासीर शीतल होती है। यह शक्तिवर्द्धक और वीर्य को पुष्ट करने वाला होता है । यह मूत्र शोधक, पथरी, प्रमेह, साँस की बीमारी, वायु रोग, हृदय रोग, बवासीर, यौन शक्ति बढ़ाने वाला, स्वप्न दोष, वाजीकरण, चर्म रोग और अतिसार आदि में अत्यंत लाभकारी होता है।

1. यौन शक्ति वर्द्धक में गोखरू के फायदे

गोखरू का प्रयोग यौन शक्ति को बढ़ाने में अत्यंत कारगर होता है। गोखरू, शतावर, नागबला, खिरैटी, असगंध, इन सभी को 20-20 ग्राम का कम या ज्यादा बनाने के लिए समभाग लेकर अच्छी प्रकार से कूट-पीसकर कपड़छन करके चूर्ण बना लें।

प्रतिदिन इस चूर्ण का एक छोटा चम्मच रात्रि के समय दूध के साथ सेवन करें। इसे कम-से-कम चालीस दिन तक सेवन करें। इस बीच स्त्री संपर्क से दूर रहें। फिर देखिएगा कि यह यौन-शक्ति के लिए कैसी रामबाण सरीखी औषधि है।

2. पेशाब संबंधी रोग में गोखरू के फायदे

गोखरू के सूखे बीजों को पानी में उबालकर उनका काढ़ा बना लें। काढ़ा बनाने के लिए 100 ग्राम गोखरू में 1 लीटर पानी डालें और उबालें। जब पानी का आठवाँ भाग रह जाए, तब उसे उतारकर ठंडा कर लें और छान लें। इस काढ़े को पंद्रह दिन तक पीने पर कोई भी मूत्र रोग नहीं रहता। पेशाब खुलकर आता है।‘सुजाक', 'स्वप्नदोष', ‘पेशाब की रुकावट' ‘जलन' आदि नष्ट हो जाती है।

3. सुजाक में गोखरू के फायदे

सुजाक होने पर गोखरू के हरे पत्ते 10, ग्राम, ककड़ी के बीज 5 ग्राम, काली मिर्च 2-3 नग, इन्हें अच्छी तरह से खरल कर लें और पानी के साथ पीने से कुछ ही दिनों में सुजाक रोग नष्ट हो जाएगा।

4. बाजीकरण पथ्य में गोखरू के फायदे

गोखरू के बीज 10 ग्राम, क्रोंच के बीज10 ग्राम और उटंगन के बीज 10 ग्राम, इन्हें लेकर कूट-पीस लें और कपड़छन चूर्ण बना लें। एक छोटा चम्मच चूर्ण नित्य मिश्री मिले गर्म दूध के साथ रात्रि में लगभग एक माह तक पीने से बुढ़ापा भी जवानी में बदल जाता है और अत्यधिक कामातुर स्त्रियों का घमण्ड तोड़ने की ताकत रखता है।

5. वीर्य वर्द्धक में गोखरू के फायदे

गोखरू, आँवला और गिलोय, इन तीनों को समभाग में लेकर पीस लें और कपड़छन कर लें। इस चूर्ण की आधा चम्मच मात्रा को शुद्ध घी और मिश्री के साथ मिलाकर नित्य सेवन करें। वीर्य वृद्धि में यह अत्यंत सहायक है।

6. सिर-दर्द होने पर गोखरू के फायदे

गोखरू की डण्डियों की 10 ग्राम मात्रा लेकर उसका काढ़ा बना लें और रोगी को पिलाएँ। कैसा भी सिर-दर्द होने पर तत्काल आराम आ जाएगा।

7. दमा व श्वाँस रोग में गोखरू के फायदे

ताजे गोखरू के बीजों का गूदा 2 ग्राम लेकर और सुखे अंजीर 2 नग लेकर, दिन में 2-3 बार गुनगुने जल से लेने पर 'दमा' व 'श्वाँस रोग' कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं।

8. कमजोर पाचन शक्ति में गोखरू के फायदे

गोखरू के 100 ग्राम काढ़े में पीपल के 5 ग्राम चूर्ण को मिलाकर दिन में थोड़ा-थोड़ा करके पी जाएँ। एक सप्ताह के प्रयोग से पाचन शक्ति बढ़ जाएगी और पेट का कब्ज' तथा वात-रोग नष्ट हो जाएगा।

(और पढ़े - गठिया वात के लक्षण और उसका घरेलू इलाज)

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