शिशुओं का ऊपरी आहार कब और कैसे देना चाहिए|

यदि मां के स्तनों में दूध नहीं है और वह बच्चे को दूध नहीं पिला सकती तो उसका दूसरा उपाय है कि बच्चे को गाय या बकरी का अथवा भैंस का दूध पिलाना चाहिए। जब बच्चे को जन्मते ही गाय के दूध पर रखने की आवश्यकता होती हैं तो फिर उस दूध को मां के दूध के समान बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।

जन्म के बाद कुछ सप्ताह तक गाय का दूध 1 भाग और उबला हुआ पानी दो भाग मिलाना चाहिए तथा इसके आलावा कुछ मिठास मिलाने की आवश्यकता होती है।

इसके लिए दूध की शकर उत्तम होती है यह न मिल सके तो लाल शक्कर या गुड़ मिलाया जाये। बाजारों में जो गुड़ मिलता है वह गन्दा होता है उसे साफ कर लेना होगा। गुड़ पानी में घोल कर पका डाला जाये और फिर उसे छान लिया जाये।

गाय का दूध 2 छटांक + मिठास 4 माशे चूने का पानी एक बड़ा चम्मच + पानी 4 छटांक।

ज्यों-ज्यों बच्चा बड़ा होता जाय त्यों-त्यों मिठास की मात्रा बढ़ाते-बढ़ाते आधा पाव प्रतिदिन कर देनी चाहिए। डिब्बे के दूध पर बच्चे का पालन-पोषण नहीं होना चाहिए। इनमें वसा अंश के अतिरिक्त विटामिन 'ए' और 'डी' बहुत कम होते है।

सोयाबीन का दूध बनाकर दिया जा सकता है। सोयाबीन को रात में भिगो देने के बाद सुबह सिल पर घोट डालें। फिर पानी व मिठास उचित मात्रा में मिला कर दें।

मां का दूध व अन्य दूध में अंतर

             पानी प्रतिशत                       वसा                             खनिजलवण                   कार्बोज

  • मां का दूध 88 %                   1.0                                     3.9                         7.0
  • गाय का दूध 87.6%               3.9                                     3.6                         4.8
  • भैस का दूध 81.0 %              4.3                                     8.8                         5.1
  • बकरी का दूध 85.2%             3.7                                     5.6                         4.5

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